क्या 2006 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस में 12 आरोपियों को बरी किया गया?

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क्या 2006 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस में 12 आरोपियों को बरी किया गया?

सारांश

बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2006 के मुंबई ट्रेन बम धमाकों के मामले में 12 आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने सभी आरोपियों को निर्दोष ठहराया, जिससे एक महत्वपूर्ण निर्णय सामने आया है। जानिए इस फैसले के पीछे की कहानी और इसके प्रभाव।

Key Takeaways

  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने 12 आरोपियों को बरी किया।
  • कोर्ट के अनुसार, सबूतों में कोई ठोस आधार नहीं था।
  • 2006 में हुए बम धमाकों में 189 लोग मारे गए थे।
  • आरोपियों को पहले मृत्युदंड और उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।
  • यह फैसला 19 साल बाद आया है।

मुंबई, 21 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। वर्ष 2006 में मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को निर्णय सुनाया है। इस मामले में 12 आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है। कोर्ट ने इन्हें जेल से रिहा करने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने विशेष टाडा न्यायालय द्वारा दोषी ठहराए गए सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया है। इनमें से 5 को मृत्युदंड और 7 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को निर्दोष करार देते हुए उन्हें तुरंत जेल से रिहा करने का आदेश दिया है।

यह फैसला 19 साल बाद आया है। न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति एस. चांडक की खंडपीठ ने अपने निर्णय में कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए सबूतों में कोई ठोस आधार नहीं था। कोर्ट ने सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।

हाईकोर्ट ने न केवल आरोपियों की अपील को स्वीकार किया, बल्कि राज्य सरकार की उस याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें मृत्युदंड की मांग की गई थी।

यह मामला 11 जुलाई 2006 का है, जब मुंबई की लोकल ट्रेनों में शाम के समय मात्र 11 मिनट के अंदर सात अलग-अलग जगहों पर सीरियल बम धमाके हुए थे। इन धमाकों में 189 लोगों की जान चली गई थी और 827 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था।

नवंबर 2006 में इस मामले में चार्जशीट दाखिल की गई थी। इसके बाद 2015 में ट्रायल कोर्ट ने 12 आरोपियों को दोषी ठहराया था, जिसमें 5 को फांसी और 7 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।

इसके बाद आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। जनवरी 2025 में इस मामले की सुनवाई पूरी हुई थी, और तब से कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था। येरवडा, नाशिक, अमरावती और नागपुर जेल में बंद आरोपियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश किया गया।

--आईएएनएश

वीकेयू/केआर

Point of View

यह महत्वपूर्ण है कि हम न्याय के सिद्धांतों की रक्षा करें। बॉम्बे हाईकोर्ट का यह फैसला हमें यह याद दिलाता है कि हर व्यक्ति को न्याय मिलना चाहिए, और जब सबूतों का अभाव हो, तो निर्दोष को सजा नहीं मिलनी चाहिए। हम हमेशा सही और न्यायपूर्ण निर्णय के साथ खड़े रहेंगे।
NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

बॉम्बे हाईकोर्ट ने किस मामले में 12 आरोपियों को बरी किया?
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2006 के मुंबई ट्रेन बम धमाकों के मामले में 12 आरोपियों को बरी किया।
इस मामले में कितने लोग मारे गए थे?
इस मामले में 189 लोग मारे गए थे और 827 लोग घायल हुए थे।
क्या आरोपियों को पहले सजा सुनाई गई थी?
हाँ, आरोपियों में से 5 को मृत्युदंड और 7 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।
कोर्ट ने क्यों आरोपियों को बरी किया?
कोर्ट ने बरी करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए सबूतों में कोई ठोस आधार नहीं था।
कब हुई थी यह घटना?
यह घटना 11 जुलाई 2006 को हुई थी।