क्या बसपा प्रदेश अध्यक्ष ने भाजपा की कार्यशैली पर उठाए सवाल, जनता की गाढ़ी कमाई का हुआ अपव्यय?

सारांश
Key Takeaways
- सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं।
- जनता की मेहनत की कमाई का अपव्यय हो रहा है।
- मायावती के खिलाफ फर्जी मुकदमे का जिक्र।
- जिलों के नाम बदलने पर विवाद।
- पार्कों के रख-रखाव में लापरवाही।
सुल्तानपुर, 11 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बहुजन समाज पार्टी के सक्रिय नेता राम खेलावन की अचानक मृत्यु ने पार्टी में शोक की लहर पैदा कर दी है। इसी बीच, बसपा प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल शोक संवेदना व्यक्त करने उनके परिवार से मिले। बाद में, उन्होंने मीडिया से बातचीत में मोदी सरकार, योगी सरकार और प्रदेश की पूर्व समाजवादी सरकार पर तीखे आरोप लगाए।
प्रदेश अध्यक्ष ने सरकार की नीतियों पर सख्त टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि पहले जीएसटी को बढ़ाया गया, फिर घटाया गया और फिर इसे उत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। उन्होंने दो हजार रुपए के नोट पर भी सवाल उठाए। उनका कहना था कि पहले दो हजार का नोट चलाया गया, फिर उसे बंद कर दिया गया। आखिर क्यों? यह सब जनता की मेहनत की कमाई का अपव्यय है।
विश्वनाथ पाल ने बसपा सुप्रीमो मायावती पर भाजपा सरकार के दौरान लगाए गए फर्जी मुकदमे का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि मायावती पर कई मुकदमे लगें, लेकिन सभी में वह बरी हो गईं।
उन्होंने जनपदों के नाम बदलने पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि आज जो लोग काशीराम की पुण्यतिथि मना रहे हैं, वही लोग अलीगढ़ से अलग किए गए जिले का नाम बदलने में शामिल थे। पहले उसका नाम मान्यवर काशीराम नगर रखा गया था, लेकिन समाजवादी पार्टी ने उसका नाम बदलकर कासगंज कर दिया।
इसी तरह, सुल्तानपुर से अलग जिला बना, जिसका नाम छत्रपति शाहूजी महाराज नगर रखा गया था, लेकिन उसे बदलकर अमेठी कर दिया गया। इसके अलावा, कई अन्य जिले जैसे संत कबीर नगर और संत रविदास नगर भी बनाए गए थे, लेकिन उनके नाम परिवर्तन को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ।
विश्वनाथ पाल ने मायावती द्वारा पार्कों के रख-रखाव को लेकर दिए गए निर्देशों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी ने पांच साल में और भाजपा ने भी पांच साल में पार्कों का रख-रखाव नहीं किया। इसके बाद मायावती ने पत्र लिखकर पार्कों की मरम्मत कराई, और सरकार ने इस पर संज्ञान लिया।