बुधवार का व्रत: भगवान गणेश और बुध देव की पूजा कैसे करें?

सारांश
Key Takeaways
- बुधवार का व्रत
- भगवान गणेश की पूजा से बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि होती है।
- पूजा विधि का पालन करना आवश्यक है।
- इस दिन मांस-मदिरा का सेवन वर्जित है।
- प्रसाद का वितरण करना चाहिए।
नई दिल्ली, 14 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि बुधवार को आ रही है। इस दिन सूर्य कन्या राशि में और चंद्रमा कर्क राशि में स्थित रहेंगे।
द्रिक पंचांग के अनुसार, बुधवार को कोई अभिजीत मुहूर्त नहीं है और राहुकाल का समय दोपहर 12 बजकर 7 मिनट से शुरू होकर 1 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। इस तिथि पर कोई विशेष पर्व नहीं है। यदि आप बुध ग्रह से संबंधित दोषों से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो आप बुधवार का व्रत रख सकते हैं।
स्कंद पुराण में कहा गया है कि बुधवार के दिन भगवान गजानन महाराज की विधि-विधान से पूजा करने और व्रत रखने से बुद्धि, ज्ञान और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इसके साथ ही, बुध ग्रह से संबंधित दोष भी समाप्त होते हैं।
पौराणिक ग्रंथों में पूजा विधि का उल्लेख किया गया है, जिसके अनुसार बुधवार के दिन गणपति का व्रत आरंभ करने के लिए आप ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करके एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें। इसके बाद ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) की ओर मुख करके इस आसन पर बैठें। फिर भगवान गणेश को पंचामृत (जल, दूध, दही, शहद, घी) से स्नान कराएं और फिर उन पर सिंदूर और घी का लेप लगाएं। उसके बाद, कम से कम तीन दूर्वा और पीले, लाल पुष्प अर्पित करें। साथ ही, बुध देव को हरे रंग के वस्त्र और दाल भी चढ़ानी चाहिए।
लड्डू, हलवा, या मीठी चीजों का भोग लगाने के बाद श्री गणेश और बुध देव के मंत्रों का जाप करें। फिर व्रत कथा सुनें और उनकी पूजा करें। इसके बाद श्री गणेश और बुध देव की आरती करें।
पूजन के समापन के बाद प्रसाद परिवार में सभी को बांटें। गरीबों और ब्राह्मणों को यथाशक्ति दान दें। इस दिन मांस-मदिरा का सेवन, झूठ बोलना, किसी का अपमान करना, बाल या दाढ़ी कटवाना और तेल मालिश करना वर्जित है। व्रत का उद्यापन 12 व्रतों के बाद किया जाता है।