क्या कलकत्ता हाई कोर्ट ने फिल्म बंगाल फाइल्स से जुड़ी याचिका खारिज कर दी?

Click to start listening
क्या कलकत्ता हाई कोर्ट ने फिल्म बंगाल फाइल्स से जुड़ी याचिका खारिज कर दी?

सारांश

कलकत्ता हाईकोर्ट ने फिल्म बंगाल फाइल्स के संबंध में जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। यह निर्णय दर्शाता है कि फिल्म की रिलीज के लिए निर्माता-निर्देशक की ज़िम्मेदारी है। जानिए इस मामले का पूरा सच और आगे के कदम क्या होंगे।

Key Takeaways

  • कोलकाता हाई कोर्ट ने जनहित याचिका को खारिज किया।
  • राज्य सरकार ने फिल्म पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया।
  • याचिकाकर्ता अब सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं।
  • निर्माताओं का अधिकार फिल्म की रिलीज पर महत्वपूर्ण है।
  • दर्शकों का अधिकार सुरक्षित रहना चाहिए।

कोलकाता, 26 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल में फिल्म बंगाल फाइल्स से संबंधित जनहित याचिका को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति सुजॉय पॉल और न्यायमूर्ति स्मिता दास डे की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता का इस मामले में कोई प्रत्यक्ष हित नहीं है। अदालत ने कहा कि असली समस्या फिल्म के निर्माता-निर्देशक से जुड़ी है, क्योंकि फिल्म की रिलीज उन्हीं के अधिकार और प्रयासों से संबंधित है।

राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल किशोर दत्ता ने अदालत में स्पष्ट किया कि पश्चिम बंगाल सरकार ने फिल्म पर किसी भी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया है। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह सिनेमा हॉल मालिकों का निर्णय है कि वे फिल्म दिखाना चाहते हैं या नहीं। चूंकि हॉल मालिकों के खिलाफ पीआईएल दायर नहीं की जा सकती, इसलिए यह याचिका विचारणीय नहीं है और इसी कारण इसे खारिज किया गया।

इस फैसले के बाद याचिकाकर्ता अब सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहा है। साथ ही वे फिल्म के निर्माता-निर्देशक से संपर्क साधने पर भी विचार कर रहे हैं ताकि कानूनी लड़ाई को आगे बढ़ाया जा सके।

इस मामले में अधिवक्ता निकुंज बर्लिया ने कहा, "यह मामला मंगलवार को आया था जब राज्य सरकार पेश हुई थी और उन्होंने इस मामले पर निर्देश देने के लिए समय मांगा था। इसलिए आज जब यह मामला अदालत में उठाया गया तो पश्चिम बंगाल राज्य की ओर से विद्वान महाधिवक्ता पेश हुए और उन्होंने इस जनहित याचिका को दायर करने के याचिकाकर्ता के अधिकार क्षेत्र के बारे में कुछ आपत्तियां उठाईं।"

उनकी दलील का मुख्य आधार यह था कि जनहित याचिका किसी दर्शक या दर्शकों में से किसी एक के कहने पर है। यह किसी फिल्म निर्माता, निर्देशक या इस फिल्म के निर्माण में शामिल अभिनेताओं के कहने पर नहीं है। जिसके लिए हमने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के कुछ फैसलों का हवाला दिया था। जहां सर्वोच्च न्यायालय ने ऐसी ही परिस्थितियों में संरक्षण का आदेश दिया था जहां कोई आधिकारिक प्रतिबंध नहीं था।

जब उनसे पूछा गया कि क्या वे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने पर विचार कर रहे हैं, तो निकुंज बर्लिया ने कहा कि आदेश अभी अपलोड किया गया है। मैं इसे अपने मुवक्किल के साथ भी साझा करूंगा और जैसा कि मैंने आपको बताया, मेरे मुवक्किल सौमेंदु मुखर्जी, जो सुप्रीम कोर्ट से जुड़े हैं, भी इस मामले में शामिल हैं। यदि हमें लगेगा कि इस मामले में दम है और सुप्रीम कोर्ट में इसे लड़ा जा सकता है, तो हम निश्चित रूप से वहां जाने पर विचार करेंगे।

इसके साथ ही, जब पूछा गया कि क्या वे फिल्म के निर्देशक और निर्माता से संपर्क करेंगे, तो बर्लिया ने कहा कि हम उनकी ओर से कोई संवाद स्थापित करने की कोशिश करेंगे, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि हमारी लड़ाई उनसे स्वतंत्र है। हमारा उद्देश्य सिर्फ यह है कि दर्शकों का अधिकार सुरक्षित रहे और फिल्म को देखने से कोई कृत्रिम बाधा न बने।

Point of View

हमें यह समझना चाहिए कि न्यायालय का यह निर्णय दर्शकों के अधिकारों की रक्षा करता है। यह स्पष्ट करता है कि फिल्म उद्योग में निर्माताओं और निर्देशकों की स्वतंत्रता महत्वपूर्ण है। हमें इस मुद्दे पर संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, ताकि सिनेमा का विकास हो सके।
NationPress
26/09/2025

Frequently Asked Questions

क्या कलकत्ता हाई कोर्ट ने याचिका क्यों खारिज की?
कलकत्ता हाई कोर्ट ने याचिका को इस आधार पर खारिज किया कि याचिकाकर्ता का मामले में कोई प्रत्यक्ष हित नहीं है।
क्या राज्य सरकार ने फिल्म पर कोई प्रतिबंध लगाया है?
राज्य सरकार ने फिल्म पर किसी भी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया है।
याचिकाकर्ता अब क्या कदम उठाएंगे?
याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं।
क्या जनहित याचिका का अधिकार केवल दर्शकों को है?
हाँ, जनहित याचिका किसी दर्शक के कहने पर दायर की जा सकती है, न कि फिल्म निर्माताओं के द्वारा।
इस मामले में अधिवक्ता ने क्या कहा?
अधिवक्ता निकुंज बर्लिया ने कहा कि यह मामला याचिकाकर्ता के अधिकार क्षेत्र पर आधारित है।