क्या सीबीआई अदालत ने 32 करोड़ रुपए के धोखाधड़ी मामले में कस्टम इंस्पेक्टर को 5 साल की सजा सुनाई?

सारांश
Key Takeaways
- सीबीआई की सख्त कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सकारात्मक संकेत है।
- सजा सुनाए जाने से भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों में डर पैदा होगा।
- जांच में 20 वर्षों का समय लगा, जो न्याय प्रणाली की धीमी गति को दर्शाता है।
- विशाखापत्तनम में यह मामला लोगों के लिए एक चेतावनी है।
- कानून सभी के लिए समान है, चाहे व्यक्ति का पद या स्थिति कुछ भी हो।
विशाखापत्तनम, 17 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। सीबीआई अदालत ने 32 करोड़ रुपए के धोखाधड़ी मामले में कस्टम इंस्पेक्टर सहित दो व्यक्तियों को दोषी ठहराते हुए 5 साल की जेल की सजा सुनाई है। बालाजी जनरल ट्रेडिंग कंपनी को भी मामले में दोषी पाया गया है। इसके अलावा, तीनों पर 5.53 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को इस फैसले की जानकारी दी।
यह मामला 20 वर्ष पुराना है। सीबीआई ने इसे 30 अगस्त 2005 को दर्ज किया था। आरोप था कि एक निजी व्यक्ति, पोलाकी जानकीराम ने अपने साथी के साथ मिलकर एक आपराधिक साजिश की। जानकीराम ने अपना नाम बदलकर 'पल्ला केशव राव' रखा और फिर श्री बालाजी जनरल ट्रेडिंग कंपनी की स्थापना की। इसके बाद, जानकीराम ने केशव राव के नाम से फर्जी हस्ताक्षर करके विशाखापत्तनम विशेष आर्थिक क्षेत्र (वीएसईजेड) से ट्रेडिंग लाइसेंस और आयात-निर्यात कोड प्राप्त किया।
आरोपों के अनुसार, पी. जानकीराम ने केशव राव बनकर मालीगांव की तीन फर्मों से शुल्क मुक्त सामग्री खरीदी। इसके बाद उसने कस्टम इंस्पेक्टर कालका रामदास और अन्य के साथ मिलकर आयात-निर्यात नीति के दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया। उन्होंने इन सामग्रियों को मुंबई की फर्मों को एडवांस रिलीज ऑर्डर (एआरओ) के जरिए धोखाधड़ी से निर्यात के रूप में मंजूरी दी, जिससे 32.28 करोड़ रुपए के उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क की धोखाधड़ी हुई।
जांच पूरी होने के बाद, सीबीआई ने 29 अगस्त 2008 को मामले में चार्जशीट दाखिल की। चार्जशीट के समय आरोपी कालका रामदास विशाखापत्तनम में सहायक आयुक्त, सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क कार्यालय में अधीक्षक थे। लंबी सुनवाई के बाद, अदालत ने इन आरोपियों को दोषी ठहराया और सजा सुनाई।
अदालत के फैसले के बाद, दोषियों कालका रामदास और पोलाकी जानकीराम को विशाखापत्तनम सेंट्रल जेल भेज दिया गया है।