क्या नवंबर तक स्थिर मुद्रास्फीति और तेल कीमतों के बीच सरकारी बॉन्ड यील्ड में 10 आधार अंकों की गिरावट संभव है?

सारांश
Key Takeaways
- बॉन्ड यील्ड में संभावित गिरावट की संभावना है।
- तेल की कीमतें स्थिर हैं।
- अगले तीन महीनों में मुद्रास्फीति पर नजर रखना आवश्यक है।
- विदेशी निवेश की स्थिति पर प्रभाव पड़ सकता है।
- भारत की जीडीपी वृद्धि सकारात्मक संकेत दे रही है।
नई दिल्ली, 17 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। सकारात्मक मुद्रास्फीति के आंकड़ों और तेल की स्थिर कीमतों के कारण अगले तीन महीनों में बेंचमार्क भारतीय बॉन्ड यील्ड में थोड़ी गिरावट आने की संभावना है। यह जानकारी बुधवार को एक रिपोर्ट में सामने आई।
रिसर्च फर्म क्रिसिल इंटेलिजेंस की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि 10-ईयर सरकारी बॉन्ड यील्ड, जो 31 अगस्त को 6.59 प्रतिशत थी, सितंबर के अंत तक 6.42 -6.52 प्रतिशत और नवंबर के अंत तक 6.38 -6.48 प्रतिशत के दायरे में आ सकती है।
स्टेट डेवलपमेंट लोन यील्ड नवंबर तक 7.23 प्रतिशत से घटकर 7.15 -7.25 प्रतिशत के दायरे में आने की संभावना है, जबकि 10-ईयर कॉर्पोरेट बॉन्ड यील्ड 7.19 प्रतिशत से घटकर 7.08-7.18 प्रतिशत के दायरे में आ सकता है।
क्रिसिल ने बताया कि तेल की नरम कीमतें भू-राजनीतिक जोखिमों और वैश्विक विकास में धीमी गति के प्रभावों की भरपाई कर रही हैं।
यील्ड को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक अमेरिकी फेडरल ओपन मार्केट कमेटी का आगामी निर्णय, अगस्त में घरेलू बाजार में औसतन 2.84 लाख करोड़ रुपये की तरलता, चल रही अमेरिका-भारत व्यापार वार्ताएँ और अस्थिर विदेशी पूंजी प्रवाह हैं।
1 जुलाई से 8 सितंबर के बीच, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने कुल 1.02 लाख करोड़ रुपये के भारतीय शेयर बेचे, जिनमें से सितंबर के पहले छह सत्रों में 7,800 करोड़ रुपये की बिक्री हुई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति द्वारा अक्टूबर की बैठक में रेपो दर में कटौती की संभावना कम है, क्योंकि केंद्रीय बैंक ने एक विराम की घोषणा की है और संकेत दिया है कि आगे कोई भी हस्तक्षेप आंकड़ों पर निर्भर करेगा।
रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में जीएसटी को रेशनलाइज करने के कारण वास्तविक राजकोषीय प्रभाव अपेक्षा से कम होगा।
भारत की पहली तिमाही की जीडीपी वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत तक पहुंच गई है और सरकार द्वारा जीएसटी संरचना को सरल बनाने के फैसले से अर्थव्यवस्था में लगभग 50,000 करोड़ रुपये आने की उम्मीद है, जिससे घरेलू खपत को बढ़ावा मिलेगा।
एसबीआई कैपिटल मार्केट्स ने हाल ही में कहा था कि अमेरिका और ब्रिटेन में राजकोषीय तनाव वैश्विक व्यापार तनाव को जटिल बना रहा है और बढ़ते कर्ज के बोझ के कारण बॉन्ड यील्ड कर्व और अधिक बढ़ रहा है।