क्या सीसीआई ने महाराष्ट्र के शराब संघों को प्रतिस्पर्धा-विरोधी गतिविधियां रोकने के लिए निर्देश दिए?
सारांश
Key Takeaways
- सीसीआई ने प्रतिस्पर्धा-विरोधी गतिविधियों को रोकने के लिए आदेश जारी किया।
- संघों ने अनुचित व्यापारिक शर्तें लागू की थीं।
- यह आदेश प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के तहत है।
- संघों को दंडित किया जा सकता है यदि वे आदेश का पालन नहीं करते।
- यह कदम भारतीय बाजार में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा।
नई दिल्ली, ११ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने प्रतिस्पर्धा अधिनियम, २००२ (अधिनियम) की धारा २७ के तहत गुरुवार को एक आदेश जारी किया है, जिसमें महाराष्ट्र वाइन मर्चेंट्स एसोसिएशन, पुणे जिला वाइन मर्चेंट्स एसोसिएशन और प्रोगेसिव शराब विक्रेता संघ को अधिनियम की धारा ३(३)(क) और ३(३)(ख), धारा ३(१) के उल्लंघन में पाए गए प्रतिस्पर्धा-विरोधी आचरण को रोकने का निर्देश दिया गया है।
यह कार्यवाही अधिनियम की धारा १९(१)(क) के तहत दायर सूचना के आधार पर शुरू हुई, जिसमें आरोप लगाया गया था कि इन संघों ने सामूहिक रूप से मादक पेय पदार्थों के निर्माताओं, वितरकों और विक्रेताओं पर खुदरा मार्जिन, नए उत्पाद लॉन्च योजनाओं, परिवहन और वितरण शर्तों, नकद छूट, क्रेडिट अवधि, अनिवार्य लॉन्च शुल्क, दान और अन्य वाणिज्यिक शर्तों सहित कई शर्तें निर्धारित की थीं।
रिकॉर्ड में मौजूद साक्ष्यों के आधार पर आयोग ने पाया कि संघों द्वारा अपने सदस्यों को सर्कुलर, ईमेल या अन्य संचार जारी करके मूल्य निर्धारण, मार्जिन, छूट, भुगतान शर्तें, परिवहन शुल्क या अन्य वाणिज्यिक शर्तों को निर्धारित या प्रभावित करना, जिन्हें प्रत्येक उद्यम द्वारा स्वतंत्र रूप से निर्धारित किया जाना चाहिए, साथ ही मादक पेय निर्माताओं पर नए उत्पादों को लॉन्च करने से पहले एनओसी प्राप्त करने की अनिवार्यता थोपना, अधिनियम की धारा ३(३)(क) और धारा ३(३)(ख), जिसे धारा ३(१) के साथ पढ़ा जाना चाहिए, का उल्लंघन करता है। सीसीआई ने इन संघों के पदाधिकारियों को धारा ४८ के तहत भी उत्तरदायी पाया।
यह आदेश केस संख्या ४३/२०१९ में पारित किया गया और इसकी एक प्रति सीसीआई की वेबसाइट पर उपलब्ध है।