क्या आईपीएस वाई पूरन कुमार की आत्महत्या बीजेपी और आरएसएस की मनुवादी सोच का परिणाम है?: सांसद चरणजीत सिंह चन्नी

सारांश
Key Takeaways
- पूरन कुमार की आत्महत्या को शहादत माना गया है।
- सरकार पर दबाव डालने का आरोप लगाया गया है।
- परिवार को शव देखने की अनुमति नहीं दी गई है।
- जिन्हें दोषी ठहराया गया है, उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।
- यह एक व्यापक सामाजिक मुद्दा है।
चंडीगढ़, 11 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान सांसद चरणजीत सिंह चन्नी हरियाणा के रोहतक पहुंचे, जहां उन्होंने आईपीएस अधिकारी पूरेन कुमार के परिवार से मुलाकात की और अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। इस अवसर पर उन्होंने पूरन कुमार की मृत्यु को आत्महत्या नहीं, बल्कि शहादत की संज्ञा दी।
चन्नी ने स्पष्ट रूप से कहा कि पूरन कुमार की आत्महत्या वास्तव में एक संगठित और मनुवादी सोच का परिणाम है, जिसके लिए बीजेपी और आरएसएस की विचारधारा जिम्मेदार है।
उन्होंने कहा कि पूरन कुमार पर सरकार द्वारा किसानों पर गोलियाँ चलाने का दबाव डाला गया था, जिसे उन्होंने सख्त मना कर दिया। चन्नी ने उन्हें एक संवेदनशील और संविधाननिष्ठ अधिकारी बताया, जिन्होंने दलितों और कमजोर वर्गों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई।
चन्नी ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पांच दिन बीत जाने के बाद भी पूरन कुमार के परिवार को अब तक शव देखने नहीं दिया गया है। परिवार के अनुसार, पार्थिव शरीर का बार-बार अपमान किया जा रहा है और उन पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है। हरियाणा के अधिकारी और मंत्री परिवार पर विभिन्न तरीके से दबाव बना रहे हैं ताकि सच्चाई उजागर न हो सके।
परिवार की मांग है कि जिन लोगों ने पूरन कुमार को आत्महत्या के लिए मजबूर किया, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। चन्नी ने रोहतक के एसपी के तबादले को केवल एक दिखावा बताया और कहा कि तबादले होते रहते हैं, लेकिन यह सजा नहीं है। असली दोषियों को जेल भेजे जाने तक सजा का कोई मतलब नहीं है।
चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा कि पूरन कुमार ने न केवल अपनी ड्यूटी निभाई, बल्कि गरीबों, दलितों और संविधान की आत्मा के लिए संघर्ष करते हुए बलिदान दिया। यह लड़ाई केवल एक परिवार की नहीं है, बल्कि पूरे देश के उन लोगों की है जो बाबा साहेब आंबेडकर की विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं। जब तक परिवार को न्याय नहीं मिलता, हम सब उनके साथ खड़े रहेंगे।