क्या छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में 10 लाख के दो इनामी माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया?

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क्या छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में 10 लाख के दो इनामी माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया?

सारांश

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में दो माओवादी, जिन पर 10 लाख का इनाम था, ने आत्मसमर्पण किया। उनके आत्मसमर्पण का कारण संगठन का खोखला होना और शासन की पुनर्वास नीति में उपलब्ध सुविधाएं हैं। यह कदम नक्सल उन्मूलन में महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।

Key Takeaways

  • दो माओवादी, संतोष और मंजू, ने 10 लाख के इनाम के साथ आत्मसमर्पण किया।
  • आत्मसमर्पण का कारण संगठन की खोखली विचारधारा है।
  • शासन की पुनर्वास नीति और सुविधाओं ने आत्मसमर्पण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • गरियाबंद पुलिस ने अन्य माओवादियों से भी आत्मसमर्पण की अपील की है।
  • यह कदम नक्सलवाद के खिलाफ एक नई शुरुआत प्रतीत होता है।

गरियाबंद, 13 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में नक्सल उन्मूलन अभियान के अंतर्गत 10 लाख के दो इनामी माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है।

छत्तीसगढ़ सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति और पुलिस की निरंतर अपील से प्रभावित होकर प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) के डीजीएन डिवीजन में सक्रिय दो माओवादियों ने हिंसा का रास्ता छोड़ते हुए आत्मसमर्पण किया।

आत्मसमर्पण करने वालों में एसडीके एरिया कमेटी के सदस्य संतोष उर्फ लालपवन और सीनापाली एरिया कमेटी के सदस्य मंजू उर्फ नंदे शामिल हैं। दोनों पर कुल 10 लाख रुपए का इनाम घोषित था।

संतोष उर्फ लालपवन मूलतः बीजापुर जिले का निवासी है, जो वर्ष 2005 से माओवादी संगठन में सक्रिय था। वह विभिन्न दलम, प्लाटून और एरिया कमेटियों में काम करते हुए लंबे समय तक सीसी स्तर के नेताओं की सुरक्षा टीम का हिस्सा रहा।

गरियाबंद और ओडिशा की सीमाओं पर सक्रिय रहते हुए वह कई गंभीर नक्सली घटनाओं, आईईडी ब्लास्ट और मुठभेड़ों में शामिल रहा है, जिनमें पुलिस बल को नुकसान पहुंचा। इसके बाद वह एसडीके और उदंती एरिया कमेटी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहा था।

वहीं, मंजू उर्फ नंदे सुकमा जिले की निवासी है और वर्ष 2002 से संगठन से जुड़ी थी। बाल संगठन से लेकर एलओएस, सीएनएम और एरिया कमेटी तक का सफर तय करते हुए वह सीनापाली एरिया कमेटी की सदस्य बनी। गरियाबंद-नुआपाडा सीमावर्ती क्षेत्रों में सक्रिय रहते हुए वह भी कई मुठभेड़ों में शामिल रही, जिनमें अनेक माओवादी मारे गए।

आत्मसमर्पण के दौरान दोनों माओवादियों ने बताया कि संगठन की विचारधारा खोखली हो चुकी है। जंगलों में कठिन जीवन, लगातार हिंसा, बीमारी और असुरक्षा के बीच भविष्य अंधकारमय हो गया था। दूसरी ओर शासन की आत्मसमर्पण-पुनर्वास नीति के तहत मिलने वाली आर्थिक सहायता, आवास, स्वास्थ्य और रोजगार सुविधाओं तथा पहले आत्मसमर्पण कर चुके साथियों के बेहतर जीवन ने उन्हें प्रभावित किया।

गरियाबंद पुलिस द्वारा गांव-गांव में चलाए गए प्रचार और अपील ने भी उन्हें यह कदम उठाने के लिए प्रेरित किया। पुलिस ने दोनों के आत्मसमर्पण को बड़ी सफलता मानते हुए क्षेत्र में सक्रिय अन्य माओवादियों से भी अपील की है कि वे हिंसा का मार्ग छोड़कर नजदीकी थाना, चौकी या कैंप में आत्मसमर्पण करें, जिससे आने वाले दिनों में उन्हें काफी फायदा होगा।

Point of View

मैं मानता हूं कि यह आत्मसमर्पण नक्सलवाद के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है। जब माओवादी खुद को मुख्यधारा में शामिल करने का निर्णय लेते हैं, तो यह संकेत देता है कि सरकार की नीतियों में प्रभावी बदलाव आ रहा है।
NationPress
13/12/2025

Frequently Asked Questions

संतोष और मंजू के आत्मसमर्पण का कारण क्या था?
उनका आत्मसमर्पण संगठन की खोखली विचारधारा और शासन की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर हुआ।
क्या आत्मसमर्पण के बाद माओवादियों को कोई सहायता मिलेगी?
हाँ, शासन द्वारा आर्थिक सहायता, आवास, स्वास्थ्य और रोजगार सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।
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