क्या छत्तीसगढ़ के घने जंगलों में महादेव का आकार हर साल बढ़ता है?
सारांश
Key Takeaways
- भूतेश्वर महादेव मंदिर का शिवलिंग प्राकृतिक रूप से बना है।
- हर साल इसका आकार बढ़ता है, जो इसे खास बनाता है।
- यह मंदिर छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।
- यहाँ की रहस्यमयी कहानियाँ श्रद्धालुओं को आकर्षित करती हैं।
- प्रकृति के प्रति आस्था की गहराई को दर्शाता है।
गरियाबंद, 16 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। छत्तीसगढ़ के घने जंगलों में महादेव का एक ऐसा मंदिर है, जिसे देखकर हर कोई आश्चर्यचकित रह जाता है। यहाँ स्थित शिवलिंग किसी राजा या शिल्पी द्वारा निर्मित नहीं, बल्कि पूर्णतः प्राकृतिक रूप से तैयार हुआ है। यह स्वयंभू शिवलिंग है, जो पृथ्वी से स्वयं प्रकट हुआ है। विशेष बात यह है कि यह शिवलिंग हर वर्ष धीरे-धीरे बढ़ता रहता है।
हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले से 3 किलोमीटर दूर मरौदा गांव में स्थित भूतेश्वर महादेव मंदिर की। आकार में इसकी लंबाई लगभग 25 फीट और चौड़ाई 20 फीट है, यही वजह है कि इसे देश का सबसे बड़ा शिवलिंग भी कहा जाता है।
मंदिर की विशेषता केवल शिवलिंग के आकार में नहीं, बल्कि इसके पीछे की रहस्यमयी कथाओं में भी है। लोककथाओं के अनुसार, गांव के कुछ चरवाहे जंगल में मवेशियों को चराने गए थे। उन्होंने देखा कि एक चट्टान पर गायें अपने आप दूध छोड़ देती हैं। यह समाचार गांव के बुजुर्गों तक पहुंचा और उन्होंने वहाँ खुदाई की। वहाँ एक विशाल शिवलिंग पाया गया, तब से इस स्थान को भूतेश्वर (भूतों के ईश्वर) के नाम से जाना जाता है।
सावन, महाशिवरात्रि और सोमवती अमावस्या जैसे पावन अवसरों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहाँ दर्शन करने आते हैं। लोग मानते हैं कि रात में भी यहाँ से घंटियों की आवाज और 'ऊं नमः शिवाय' का मंत्र सुनाई देता है। छत्तीसगढ़ के घने जंगल और शांत पहाड़ियों के बीच स्थित यह मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि यह प्राकृतिक चमत्कार का भी प्रतीक है।
हालांकि भारत में देवाधिदेव महादेव के हजारों मंदिर हैं, जो अपनी आध्यात्मिक मान्यता और चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ के जंगलों में स्थित यह मंदिर अपने आप में अद्वितीय है। इसे किसी राजा या शिल्पी ने नहीं बनवाया था, बल्कि यह स्वयं प्रकट हुआ और हर साल इसका आकार बढ़ता ही जा रहा है। जब यह शिवलिंग खोजा गया था, तब यह मात्र 3 फीट का था, लेकिन अब यह लगभग 25 फीट का हो गया है।