क्या कोलकाता की हार भारतीय टीम के लिए लंबे समय तक याद रहेगी?
सारांश
Key Takeaways
- भारतीय टीम को 124 रन का लक्ष्य हासिल नहीं करने का दुखद अनुभव।
- घरेलू धरती पर यह एक न्यूनतम लक्ष्य था।
- टीम की मानसिकता और रणनीति पर पुनर्विचार की आवश्यकता।
- ऐसे छोटे लक्ष्यों को हासिल करना भविष्य के लिए चुनौती बन सकता है।
- खिलाड़ियों के प्रदर्शन में सुधार जरूरी है।
नई दिल्ली, 16 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय क्रिकेट टीम को कोलकाता टेस्ट में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 30 रन से हार का सामना करना पड़ा। टीम इंडिया को महज 124 रन का लक्ष्य मिला था। इसलिए यह हार और भी चुभने वाली है। घरेलू पिच पर यह न्यूनतम लक्ष्य था जिसे भारतीय टीम हासिल नहीं कर पाई। यह हार टीम इंडिया के लिए लंबे समय तक यादगार रहेगी।
भारतीय टीम को घरेलू धरती पर मिला यह सबसे छोटा लक्ष्य था, जिसे प्राप्त करने में वह असफल रही और 2 टेस्ट मैचों की श्रृंखला में 0-1 से पीछे हो गई। इससे पहले, भारतीय टीम 2024 में मुंबई में न्यूजीलैंड के खिलाफ 147 रन का लक्ष्य भी नहीं प्राप्त कर पाई थी। 1987 में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ बेंगलुरु में 221 रन का लक्ष्य हासिल नहीं किया था। 1956 में कोलकाता में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारतीय टीम 231 का लक्ष्य नहीं पा सकी थी। इसी साल 2024 में इंग्लैंड के खिलाफ हैदराबाद में टीम इंडिया 242 रन का लक्ष्य भी हासिल नहीं कर पाई।
भारतीय टीम ने विदेशी मैदानों पर भी चौथी पारी में 200 से कम के लक्ष्य का पीछा करते हुए कई बार मैच गंवाए हैं।
1997 में भारतीय टीम वेस्टइंडीज के खिलाफ ब्रिजटाउन में 120 रन का लक्ष्य हासिल नहीं कर सकी थी। 2015 में श्रीलंका के खिलाफ गाले में 176 रन नहीं बना पाई। 2025 में लॉर्ड्स में इंग्लैंड के खिलाफ 193 रन नहीं बना पाई। 2018 में एजबेस्टन में इंग्लैंड के खिलाफ 194 रन का लक्ष्य भी टीम इंडिया हासिल नहीं कर सकी।
कोलकाता टेस्ट का संक्षिप्त विवेचन करें तो दक्षिण अफ्रीका ने टॉस जीतकर बल्लेबाजी करते हुए पहली पारी में 159 पर सिमट गई थी। भारतीय टीम ने पहली पारी में 189 रन बनाकर 30 रन की बढ़त ली थी। दूसरी पारी में दक्षिण अफ्रीका 153 पर सिमट गई। भारत को जीत के लिए 124 रन का लक्ष्य मिला था लेकिन भारतीय टीम 93 रन पर सिमट गई और 30 रन से हार गई।