क्या छत्तीसगढ़ में कस्टम मिलिंग घोटाले की जांच में ईडी ने हुडको भिलाई में छापा मारा?

सारांश
Key Takeaways
- ईडी की छापेमारी कस्टम मिलिंग घोटाले की जाँच का हिस्सा है।
- भिलाई के हुडको में दस्तावेजों की तलाशी की जा रही है।
- यह छापेमारी १० जिलों में एक साथ की जा रही है।
- कई सरकारी और निजी संस्थाएं जांच के घेरे में हैं।
- सुरक्षा बढ़ा दी गई है और गोपनीयता बनी हुई है।
दुर्ग/भिलाई, १८ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को भिलाई के हुडको में छापेमारी की जो कि कथित कस्टम मिलिंग घोटाले से संबंधित है। चार सदस्यीय ईडी टीम सुबह लगभग ६ बजे भिलाई पहुंची और सुधाकर रावके के ठिकानों पर तलाशी तथा पूछताछ प्रारंभ की।
सूत्रों के अनुसार, यह छापेमारी कस्टम मिलिंग अनुबंधों में वित्तीय अनियमितताओं की जांच के लिए एक व्यापक अभियान का हिस्सा है, जो राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति क्षेत्र में गंभीर चिंताओं का कारण बन रहा है।
ईडी टीम हुडको में भूमि आवंटन, वित्तीय लेन-देन और अनुबंध रिकॉर्ड से संबंधित दस्तावेजों की जांच कर रही है, जो कि इस घोटाले के लिए महत्वपूर्ण सबूत हो सकते हैं। यह छापेमारी छत्तीसगढ़ में चल रही कई समन्वित कार्रवाइयों में से एक है। सूत्रों के अनुसार, १० अलग-अलग जिलों में एक साथ छापेमारी की जा रही है।
ईडी ने जांच के दायरे में आने वाले प्रमुख स्थानों और व्यक्तियों के बारे में कोई जानकारी साझा नहीं की है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि कस्टम मिलिंग अनुबंधों में शामिल कई सरकारी कार्यालय और निजी संस्थाएं जांच के दायरे में हैं।
कस्टम मिलिंग घोटाला, जिसमें चावल खरीद और मिलिंग रिकॉर्ड में हेराफेरी शामिल है, अपने बड़े पैमाने और संभावित राजनीतिक परिणामों के कारण ध्यान आकर्षित कर रहा है। जांचकर्ताओं का मानना है कि बढ़ा-चढ़ाकर दिखाए गए बिल, फर्जी मिलें और जाली दस्तावेजों के कारण सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है।
सूत्रों ने बताया कि हुडको परिसर के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है, ईडी के अधिकारियों ने प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया है और जांचे जा रहे दस्तावेजों के बारे में पूरी गोपनीयता बरती गई है।
प्रमुख अधिकारियों से पूछताछ जारी है और आने वाले दिनों में और समन जारी होने की संभावना है।
यह एक महीने के भीतर दुर्ग-भिलाई क्षेत्र में ईडी की दूसरी बड़ी छापेमारी है, जो छत्तीसगढ़ में वित्तीय अपराधों पर एजेंसी के सख्त कदम को दर्शाती है।
हालांकि, इस मामले में राज्य सरकार ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों ने कहा कि छापेमारी के समय और पैमाने का आगामी प्रशासनिक समीक्षाओं और खरीद प्रणालियों में जनता के विश्वास पर प्रभाव पड़ सकता है।