क्या छत्तीसगढ़ में कानून-व्यवस्था पूरी तरह फेल हो गई है? नशे के कारोबार में उछाल : भूपेश बघेल

सारांश
Key Takeaways
- भूपेश बघेल ने कानून-व्यवस्था की स्थिति पर चिंता जताई।
- नशे का कारोबार बढ़ने से राज्य में स्थिति गंभीर हो रही है।
- राज्य सरकार की अव्यवस्थाएँ किसानों को भी प्रभावित कर रही हैं।
- नक्सलवाद का खात्मा जरूरी, लेकिन निर्दोषों की सुरक्षा महत्वपूर्ण है।
- राजनीतिक बयानबाजी से ज्यादा जरूरी है समस्याओं का समाधान।
रायपुर, 12 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शुक्रवार को दिल्ली और गुजरात के दौरे पर निकलने से पहले मीडिया से बातचीत की। उन्होंने बताया कि गुजरात में संगठन सृजन के तहत जिला अध्यक्षों की नियुक्ति हो चुकी है और जूनागढ़ में 10 दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम आरंभ हो गया है।
भूपेश बघेल ने कहा कि वे 16 सितंबर को गुजरात में एक शिक्षक कार्यक्रम में शामिल होंगे। वे पहले दिल्ली जाएंगे और वहां से गुजरात रवाना होंगे।
इसी दौरान, रायपुर नगर निगम ने उन्हें टैक्स भुगतान के लिए एक लीगल नोटिस भेजा है। इस पर बघेल ने कटाक्ष करते हुए कहा, “यह नोटिस सिर्फ मुझे भेजा गया है। इतने सारे शासकीय निवासों में अधिकारी रहते हैं, लेकिन नोटिस केवल मुझे मिला। ऐसा क्यों? यह सरकार की सोची-समझी कार्रवाई है।”
नक्सली मुठभेड़ के संदर्भ में उन्होंने बताया कि नक्सलवाद का खत्म होना अच्छी बात है, लेकिन गरीब आदिवासियों को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। नक्सलवाद समाप्त हो, लेकिन निर्दोष आदिवासियों की जान न जाए।
छत्तीसगढ़ में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर उन्होंने मौजूदा सरकार को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा, “राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह बिगड़ गई है। कोई ऐसा शहर नहीं बचा, जहां हत्या, बलात्कार, डकैती और लूट न हो। नशे का कारोबार पूरे छत्तीसगढ़ में फैल चुका है।”
बघेल ने राजनांदगांव में नशे के कारोबार की शिकायत का जिक्र करते हुए कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने भी इस मुद्दे को उठाया है और सरकार ने इसे स्वीकार किया है। गैंगवार और हत्याओं के बाद कुछ पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया, लेकिन यह कार्रवाई पहले क्यों नहीं हुई?
यूरिया खाद की कमी पर बघेल ने सरकार को घेरते हुए कहा कि धान की खरीद और यूरिया वितरण में भारी अव्यवस्था है। पिछले साल का धान अभी भी संग्रहण केंद्रों में पड़ा है और राइस मिलों में चावल जमा है। यूरिया की कमी और पंजीकरण में देरी से किसानों को भारी परेशानी हो सकती है।
उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा के राज्य में एसआईआर करवाने के बयान पर बघेल ने तीखी प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने कहा कि एसआईआर कराना निर्वाचन आयोग का काम है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद चुनाव आयोग की स्थिति कमजोर हुई है। एसआईआर से किसी को तकलीफ नहीं, लेकिन गरीबों से उनके माता-पिता की वोटर लिस्ट मांगना गलत है।