क्या संयुक्त सचिव सुजीत घोष ने चीन की यात्रा से आपसी रिश्तों में सुधार किया?
सारांश
Key Takeaways
- सुजीत घोष की यात्रा ने भारत-चीन संबंधों में सुधार की दिशा में नई पहल की।
- बातचीत में स्ट्रैटेजिक गाइडेंस और आपसी विश्वास का निर्माण महत्वपूर्ण रहा।
- दोनों पक्षों ने एक्सपोर्ट कंट्रोल मुद्दों को जल्दी सुलझाने पर जोर दिया।
- व्यापार और वाणिज्यिक मुद्दों पर चर्चा की गई।
- भारत-चीन संबंधों को सुदृढ़ करने के लिए संस्थागत संवाद को पुनः शुरू करने का प्रयास।
बीजिंग, 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (ईस्ट एशिया) सुजीत घोष ने 11-12 दिसंबर को चीन की यात्रा की। उन्होंने चीनी उप विदेश मंत्री सन वेइदोंग से मुलाकात की और 11 दिसंबर को बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ एशियन अफेयर्स के डायरेक्टर जनरल के साथ बातचीत की।
यह बातचीत रचनात्मक और आगे सोचने वाली थी। दोनों पक्षों ने दोनों देशों के नेताओं के स्ट्रैटेजिक गाइडेंस के महत्व पर जोर दिया और लोगों से जुड़े कामों को प्राथमिकता देते हुए आपसी रिश्तों को स्थिर करने और पुनः बनाने में हुई प्रगति का सकारात्मक आकलन किया।
दोनों पक्षों ने आने वाले साल के लिए प्लान किए गए एक्सचेंज और एक्टिविटीज का जायजा लिया। भारतीय पक्ष ने एक्सपोर्ट कंट्रोल से जुड़े बाकी मुद्दों को जल्द सुलझाने की जरूरत पर जोर दिया। आपसी हितों के रीजनल और ग्लोबल डेवलपमेंट पर भी संक्षेप में बात की गई।
इस दौरान संयुक्त सचिव (ईस्ट एशिया) ने चीनी कॉमर्स मिनिस्ट्री के डायरेक्टर जनरल (एशियन अफेयर्स) से भी मुलाकात की और द्विपक्षीय ट्रेड और कमर्शियल मुद्दों पर चर्चा की।
चीन के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि 11 दिसंबर को उप विदेश मंत्री सन वेइदोंग ने बीजिंग में भारत के विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव सुजीत घोष के साथ शिष्टाचार मुलाकात की।
बयान में कहा गया है कि सन वेइदोंग ने कहा कि इस वर्ष अगस्त में राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तियानजिन में एक सफल बैठक की, जिसमें चीन-भारत संबंधों को नए स्तर पर ले जाने के लिए मार्गदर्शन प्रदान किया गया। सन वेइदोंग ने आशा व्यक्त की कि दोनों पक्ष दोनों देशों के नेताओं के बीच हुए महत्वपूर्ण साझा समझौतों को प्रभावी ढंग से लागू करेंगे, एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाएंगे, आपसी विश्वास का निर्माण करेंगे, ठोस प्रयास करेंगे, सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए निरंतर काम करेंगे, एक-दूसरे का सम्मान करेंगे, मतभेदों का उचित प्रबंधन करेंगे और चीन-भारत संबंधों के निरंतर विकास को बढ़ावा देंगे।
सुजीत घोष ने कहा कि भारतीय-चीन संबंध बहुत महत्वपूर्ण हैं। भारत दोनों देशों के नेताओं के रणनीतिक मार्गदर्शन में चीन के साथ मिलकर संस्थागत संवाद को पुनः शुरू करने, आदान-प्रदान और सहयोग को मजबूत करने और भारत-चीन संबंधों के विकास की गति को सुदृढ़ करने के लिए तत्पर है।