क्या राहुल गांधी सिर्फ तमाशा खड़ा कर रहे हैं, उनके पास कोई सबूत नहीं? : चिराग पासवान

सारांश
Key Takeaways
- चिराग पासवान ने राहुल गांधी के आरोपों पर तीखी प्रतिक्रिया दी।
- उन्होंने कहा कि विपक्ष के पास ठोस सबूत नहीं है।
- चुनाव आयोग की प्रक्रिया का पालन जरूरी है।
- विपक्ष को संसद को चलाने देना चाहिए।
- निवर्तमान सरकार की स्थिरता की बात की गई।
पटना, 10 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर तीखा वार करते हुए कहा कि उनके पास वोट चोरी के आरोपों का कोई ठोस सबूत नहीं है। चिराग ने कहा कि विपक्ष के नेता केवल मीडिया में आकर तमाशा खड़ा करते हैं। साथ ही उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि विपक्ष के नेताओं की बुद्धि इतनी कमज़ोर क्यों है कि वे संसद को चलने नहीं दे रहे हैं।
चिराग पासवान ने कहा, "हम भी यही कह रहे हैं। आप बार-बार शिकायत करते हैं कि बिहार से इतने नाम काट दिए गए हैं, पर एक राजनीतिक दल होने के नाते आपकी भी जिम्मेदारी है। यदि आपको ऐसी शिकायतें मिल रही हैं, तो कम से कम एक बार चुनाव आयोग के पास जाकर अपनी बात रखें, क्योंकि उनके पास कोई सबूत नहीं है। ये लोग बस आते हैं और हंगामा खड़ा कर देते हैं।"
पटना में पत्रकारों से बातचीत करते हुए चिराग ने कहा कि विपक्ष संसद में एसआईआर पर चर्चा की मांग कर रहा है, लेकिन राहुल गांधी मुझे बताएं कि इस पर जवाब कौन देगा? यदि वे यह बताते हैं, तो मैं खुद सरकार से बात करके चर्चा के लिए कहूंगा। उन्होंने पूछा कि क्या विपक्ष चाहता है कि चुनाव आयोग संसद में जवाब देने आए?
उन्होंने कहा कि कांग्रेस और राजद दोनों पुरानी पार्टियां हैं, लेकिन ये दल बिना सिर-पैर की बातें कर रहे हैं। चुनाव आयोग ने एक प्रक्रिया का पालन किया है, और विपक्ष इससे असहमत है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है, इसलिए विपक्ष के दल चुनाव आयोग के पास जाकर आपत्ति दर्ज कराएं और संसद को चलने दें।
मतदाता सूची को लेकर 'कांग्रेस सरकार आने पर कार्रवाई' वाली टिप्पणी पर भी चिराग पासवान ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा कि वह दिन में सपने देख रहे हैं। बहुत सालों तक केंद्र में एनडीए की ही सरकार रहने वाली है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सिर्फ एक व्यक्ति को घेरने की कोशिश में कांग्रेस जैसी पार्टियां देश की संवैधानिक संस्थाओं पर सवाल उठाती हैं। इनके नेता पाकिस्तान और देशविरोधी लोगों की आवाज बनते हैं। देश की आवाज बनने के बजाय दुश्मन देश की आवाज बनना भयावह स्थिति है।