क्या हमारे लिए न कोई पक्ष, न विपक्ष, सब समकक्ष हैं? 'वोट चोरी' के आरोप पर चुनाव आयोग का बयान

Click to start listening
क्या हमारे लिए न कोई पक्ष, न विपक्ष, सब समकक्ष हैं? 'वोट चोरी' के आरोप पर चुनाव आयोग का बयान

सारांश

चुनाव आयोग ने विपक्ष के द्वारा उठाए गए 'वोट चोरी' के गंभीर आरोपों पर अपनी स्थिति स्पष्ट की है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि आयोग सभी राजनीतिक दलों के प्रति समान है और किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करता। यह जानकारी जानने के लिए आगे पढ़ें।

Key Takeaways

  • चुनाव आयोग सभी दलों के साथ समान व्यवहार करता है।
  • मतदाता सूची में सुधार करने के लिए विशेष पहल की गई है।
  • आयोग का कर्तव्य है कि वह निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखे।
  • मतदाता की सुरक्षा और गोपनीयता का ध्यान रखना आवश्यक है।
  • आयोग का कोई पक्ष या विपक्ष नहीं है, सभी दल समकक्ष हैं।

नई दिल्ली, 17 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। विपक्ष द्वारा उठाए गए 'वोट चोरी' के आरोपों के बीच, चुनाव आयोग ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की। भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि चुनाव आयोग सभी राजनीतिक दलों के साथ समान व्यवहार करता है, क्योंकि प्रत्येक दल का अस्तित्व आयोग में पंजीकरण से होता है।

मुख्य चुनाव आयुक्त ने स्पष्ट किया कि आयोग के लिए कोई पक्ष या विपक्ष नहीं है, सभी दल समकक्ष हैं।

ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "कानून के अनुसार हर राजनीतिक दल का जन्म चुनाव आयोग में पंजीकरण से होता है, तो आयोग उन दलों के बीच भेदभाव कैसे कर सकता है? चुनाव आयोग के लिए, कोई पक्ष या विपक्ष नहीं है, सभी समकक्ष हैं। चाहे किसी भी दल का हो, चुनाव आयोग अपने संविधानिक कर्तव्य से पीछे नहीं हटेगा।"

उन्होंने कहा, "पिछले दो दशकों से, लगभग सभी राजनीतिक दल मतदाता सूची में त्रुटियों को सुधारने की मांग कर रहे हैं। इसी मांग को पूरा करने के लिए चुनाव आयोग ने बिहार में एक विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की शुरुआत की है। एसआईआर की प्रक्रिया में सभी मतदाताओं, बूथ स्तर के अधिकारियों और सभी राजनीतिक दलों द्वारा नामित 1.6 लाख बीएलए ने मिलकर एक मसौदा सूची तैयार की है।"

ज्ञानेश कुमार ने कहा, "भारत के संविधान के अनुसार, 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने वाले प्रत्येक भारतीय नागरिक को मतदाता बनना चाहिए और मतदान भी करना चाहिए।"

उन्होंने विपक्ष द्वारा मतदाताओं की तस्वीरों को मीडिया में दिखाए जाने का जिक्र करते हुए कहा, "हमने कुछ दिन पहले देखा कि कई मतदाताओं की तस्वीरें बिना उनकी अनुमति के मीडिया में प्रस्तुत की गईं। उन पर आरोप लगाए गए, उनका उपयोग किया गया। क्या चुनाव आयोग को मतदाताओं, उनकी माताओं, बहुओं या बेटियों के सीसीटीवी फुटेज साझा करने चाहिए? मतदाता सूची में जिनके नाम होते हैं, वे ही अपने उम्मीदवार को चुनने के लिए वोट डालते हैं।"

ज्ञानेश कुमार ने कहा, "लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया में एक करोड़ से भी अधिक कर्मचारी, 10 लाख से अधिक बूथ लेवल एजेंट्स, 20 लाख से अधिक प्रत्याशियों के पोलिंग एजेंट्स चुनाव के लिए कार्य करते हैं। इतनी बड़ी संख्या में लोगों के समक्ष इतनी पारदर्शी प्रक्रिया में क्या कोई मतदाता वोट की चोरी कर सकता है? कुछ मतदाताओं द्वारा दोहरे मतदान के आरोप लगाए गए, लेकिन सबूत मांगने पर कोई उत्तर नहीं मिला। ऐसे मिथ्य आरोपों से न तो चुनाव आयोग डरता है और न ही कोई मतदाता। जब चुनाव आयोग के कंधे पर बंदूक रखकर भारत के मतदाताओं को निशाना बनाकर राजनीति की जा रही है, तब आयोग आज सबको स्पष्ट करना चाहता है कि हम निडरता से सभी गरीब, अमीर, बुजुर्ग, महिला और युवा समेत सभी वर्गों और सभी धर्मों के मतदाताओं के साथ चट्टान की तरह खड़ा था, खड़ा है और खड़ा रहेगा।

Point of View

यह स्पष्ट है कि चुनाव आयोग ने सभी दलों के साथ समानता का व्यवहार किया है। आरोपों के बावजूद, आयोग की पारदर्शिता और निष्पक्षता की आवश्यकता है। हमें लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों का सम्मान करना चाहिए।
NationPress
17/08/2025

Frequently Asked Questions

चुनाव आयोग का मुख्य कार्य क्या है?
चुनाव आयोग का मुख्य कार्य स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों का आयोजन करना है।
'वोट चोरी' के आरोपों का क्या अर्थ है?
'वोट चोरी' के आरोपों का अर्थ है कि कुछ दलों का मानना है कि उनके वोटों की चुराई जा रही है।