क्या चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव और उपचुनावों के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक तैनात किए?

सारांश
Key Takeaways
- चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है।
- कुल 470 अधिकारियों को नियुक्त किया गया है।
- उद्देश्य है चुनाव प्रक्रिया में निष्पक्षता और मतदाताओं की जागरूकता।
- पर्यवेक्षक चुनावों की न्याय, निष्पक्षता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करेंगे।
- ये पर्यवेक्षक आयोग के आंख और कान के रूप में कार्य करेंगे।
नई दिल्ली, 28 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने बिहार विधानसभा चुनाव और अन्य राज्यों में होने वाले उपचुनावों के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है। इसका मुख्य उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया में निष्पक्षता को स्थापित करना और मतदाताओं की जागरूकता और भागीदारी को बढ़ावा देना है।
निर्वाचन आयोग ने रविवार को जानकारी दी कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 320, भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 60 और आईआरएस, आईआरएएस और आईसीएएस जैसी सेवाओं के 90 अधिकारियों सहित कुल 470 अधिकारियों को केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किया गया है।
आयोग के अनुसार, ये पर्यवेक्षक आगामी बिहार विधानसभा चुनाव और जम्मू-कश्मीर (बडगाम और नगरोटा विधानसभा), राजस्थान (अंता विधानसभा), झारखंड (घाटशिला विधानसभा), तेलंगाना (जुबली हिल्स विधानसभा), पंजाब (तरनतारन विधानसभा), मिजोरम (डम्पा विधानसभा) और ओडिशा (नुआपाड़ा विधानसभा) में होने वाले उपचुनावों की निगरानी करेंगे।
भारत का चुनाव आयोग संविधान के अनुच्छेद 324 में मिले अधिकारों और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 20 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए किसी निर्वाचन क्षेत्र में चुनावों के संचालन पर नजर रखने के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षकों की तैनाती करता है। पर्यवेक्षक अपनी नियुक्ति से लेकर चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक आयोग के अधीक्षण, नियंत्रण और अनुशासन के अधीन कार्य करते हैं।
पर्यवेक्षकों को चुनावों की न्याय, निष्पक्षता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाती है, जो कि देश की लोकतांत्रिक राजनीति का आधार हैं। वे आयोग के आंख और कान के रूप में कार्य करते हैं और समय-समय पर आयोग को रिपोर्ट भेजते हैं।
प्रशासनिक सेवाओं में अपनी वरिष्ठता और अनुभव के आधार पर, सामान्य और पुलिस पर्यवेक्षक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने में आयोग की सहायता करते हैं। पर्यवेक्षक न केवल स्वतंत्र, निष्पक्ष, पारदर्शी और समावेशी चुनाव कराने में आयोग की मदद करते हैं, बल्कि मतदाताओं की जागरूकता और चुनावों में उनकी भागीदारी बढ़ाने में भी योगदान देते हैं। उनका मुख्य उद्देश्य सुधार के क्षेत्रों की पहचान करना और ठोस सुझाव तैयार करना है।