क्या बौद्ध धर्म में आस्था रखते हैं, लेकिन सभी धर्मों में विश्वास करते हैं? विदाई समारोह में बोले सीजेआई गवई

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क्या बौद्ध धर्म में आस्था रखते हैं, लेकिन सभी धर्मों में विश्वास करते हैं? विदाई समारोह में बोले सीजेआई गवई

सारांश

सीजेआई बीआर गवई ने विदाई समारोह में अपने धर्म और सेक्युलरिज्म की बात की। जानें उनके विचार और ज्यूडिशियरी के प्रति उनके आभार का सफर।

Key Takeaways

  • सीजेआई बीआर गवई का विदाई समारोह महत्वपूर्ण रहा।
  • उन्होंने बौद्ध धर्म में आस्था का उल्लेख किया।
  • सेक्युलरिज्म उनके जीवन का एक मुख्य तत्व है।
  • ज्यूडिशियरी में सभी धर्मों का सम्मान जरूरी है।
  • उनका सफर न्याय और समानता के मूल्यों से प्रेरित है।

नई दिल्ली, 20 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। सीजेआई बीआर गवई अब रिटायर होने वाले हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड ने उनके लिए विदाई समारोह का आयोजन किया। इस मौके पर चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि वे बौद्ध धर्म को अपनी आस्था मानते हैं, लेकिन वे एक सच्चे सेक्युलर व्यक्ति हैं, जो हिंदू धर्म, सिख धर्म, इस्लाम और अन्य सभी धर्मों में विश्वास रखते हैं।

सीजेआई गवई ने आगे कहा कि वे सेक्युलर हैं और यह गुण उन्होंने अपने पिता से सीखा है। उन्होंने बताया कि उनके पिता भी सेक्युलर थे और डॉ. भीमराव अंबेडकर के पक्के अनुयायी थे।

सीजेआई ने कहा कि उनके पिता जब भी राजनीतिक कार्यों के लिए अलग-अलग स्थानों पर जाते थे, तो उनके दोस्त कहते थे कि सर यहाँ चलो, यहाँ की दरगाह मशहूर है, ये गुरुद्वारा प्रसिद्ध है। मुझे इसी तरह पाला गया है, सभी धर्मों का सम्मान करना है।

उन्होंने कहा कि लगभग दो दशकों तक जज रहने के बाद, आज मैं जो कुछ भी हूं, वह इस संस्थान (ज्यूडिशियरी) की वजह से हूं। मुझे देश में ज्यूडिशियरी के इस संस्थान का धन्यवाद अदा करना चाहिए।

सीजेआई गवई ने कहा कि एक म्यूनिसिपल स्कूल में पढ़ने से लेकर देश के सबसे ऊंचे ज्यूडिशियल ऑफिस तक पहुंचने का उनका सफर, भारत के संविधान, न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे के मूल्यों की वजह से संभव हुआ। इन मूल्यों ने उन्हें हर समय मार्गदर्शन किया।

सीजेआई गवई ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट कभी भी किसी एक व्यक्ति के आस-पास नहीं होना चाहिए, जिसमें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया भी शामिल हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि फैसले पूरी कोर्ट के साथ मिलकर लिए जाने चाहिए और ज्यूडिशियरी का काम जजों, बार, रजिस्ट्री और स्टाफ सहित सभी स्टेकहोल्डर्स की भागीदारी पर निर्भर करता है।

सीजेआई गवई 23 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। 22 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में उनके कार्यकाल का आखिरी दिन होगा। 14 मई 2025 को वे चीफ जस्टिस बने थे।

सीजेआई भूषण रामकृष्ण गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को हुआ था और वे 65 वर्ष के हैं। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए अनिवार्य सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष है।

Point of View

जिससे न्यायपालिका में समानता और भाईचारे का संदेश मिलता है।
NationPress
27/11/2025

Frequently Asked Questions

सीजेआई गवई का धर्म क्या है?
सीजेआई गवई बौद्ध धर्म को अपनी आस्था मानते हैं।
सीजेआई गवई कब रिटायर हो रहे हैं?
सीजेआई गवई 23 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं।
सीजेआई गवई ने अपने पिता से क्या सीखा?
उन्होंने अपने पिता से सेक्युलरिज्म का पाठ सीखा है।
सीजेआई गवई ने किससे प्रेरणा ली?
सीजेआई गवई ने भारत के संविधान के मूल्यों से प्रेरणा ली।
सीजेआई गवई का जन्म कब हुआ?
सीजेआई गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को हुआ।
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