क्या दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर सीएम धामी ने श्रद्धांजलि दी?

सारांश
Key Takeaways
- दीनदयाल उपाध्याय ने जीवनभर गरीबों के उत्थान के लिए कार्य किया।
- सीएम धामी ने उनके विचारों को आज भी प्रेरणा का स्रोत बताया।
- राज्य सरकार अंत्योदय के सिद्धांत को अपने विकास नीति में शामिल कर रही है।
- भाजपा के नेताओं ने भी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
- स्वच्छता अभियान में भाग लेने की अपील की गई।
देहरादून, २५ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के अवसर पर दीनदयाल पार्क में स्थित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने समाज के गरीब, वंचित और पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए जीवनभर कार्य किया। उनकी शिक्षाएँ और आदर्श आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि दीनदयाल जी के विचार और 'अंत्योदय' का संकल्प राज्य की विकास नीति की प्रेरणा हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार केंद्र और राज्य की विभिन्न योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाने के लिए निरंतर प्रयासरत है।
सीएम धामी ने इसके बाद मुख्यमंत्री आवास में भी पंडित दीनदयाल उपाध्याय के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी।
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने भी दीनदयाल उपाध्याय को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने 'एक्स' पर लिखा, "पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर, मैंने नई दिल्ली में 'सेवा पखवाड़ा' के अंतर्गत 'स्वच्छता ही सेवा (एसएचएस) - २०२५' अभियान में भाग लिया। मैं प्रत्येक नागरिक से इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग लेने और सभी के लिए एक स्वच्छ, स्वस्थ और हरित भारत बनाने में योगदान देने का आग्रह करता हूँ।"
वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक्स पर लिखा, "भारतीय जनसंघ के संस्थापक व ‘एकात्म मानववाद’ के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का उनकी जयंती पर वंदन करता हूँ। दीनदयाल जी ने एकात्म मानव दर्शन के माध्यम से व्यक्ति, समाज और राष्ट्र को एक समग्र इकाई मानकर आर्थिक प्रगति के साथ नैतिक व सांस्कृतिक उत्थान पर भी बल दिया। जनसंघ के माध्यम से उन्होंने राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखने वाला राजनीतिक विकल्प दिया। दीनदयाल जी के ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद’ व ‘अन्त्योदय’ के सिद्धांत हर एक राष्ट्रप्रेमी के लिए प्रेरणीय हैं।"