क्या सीएम धामी ने धनतेरस से भैयादूज तक प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी?

सारांश
Key Takeaways
- धनतेरस का पर्व आरोग्यता के देवता भगवान धन्वंतरी की पूजा का पर्व है।
- दीपावली सुख और समृद्धि का प्रतीक है।
- भैयादूज भाई-बहनों के प्रेम को दर्शाता है।
- स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देना आत्मनिर्भरता की दिशा में एक कदम है।
- उत्तराखंड के कारीगरों की परंपरा को पहचान मिल रही है।
देहरादून, 17 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को प्रदेशवासियों को धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भैयादूज के अवसर पर शुभकामनाएं दीं। इस मौके पर उन्होंने प्रदेशवासियों की सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हुए कहा कि धनतेरस का पर्व आरोग्यता के देवता भगवान धन्वंतरी की पूजा का प्रतीक है। उन्होंने यह भी कहा कि भगवान धन्वंतरी हमारे जीवन में सुख, समृद्धि और आरोग्यता लाएं।
मुख्यमंत्री धामी ने दीपावली के पावन पर्व को सुख, समृद्धि और संपन्नता का प्रतीक बताते हुए सभी प्रदेशवासियों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि माँ लक्ष्मी और भगवान श्री गणेश जी के आशीर्वाद से हम सभी के जीवन में सुख, समृद्धि, शांति और आरोग्यता का संचार हो। दीपावली का यह पर्व केवल रोशनी, उत्साह और आनंद का नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता और स्वाभिमान का भी प्रतीक है। यह पर्व राष्ट्रीय अस्मिता और गौरव का प्रतीक भी है। प्रकाश का यह पर्व हमारे जीवन में धन, वैभव, यश, ऐश्वर्य और संपन्नता लेकर आए।
सीएम धामी ने कहा कि दीपावली का पर्व सत्य, सद्भावना और मर्यादा का संदेश देता है। यह दीपों का पर्व भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटने से भी जुड़ा है। दीपावली, बुराई पर अच्छाई और अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है।
उन्होंने आगे कहा कि गोवर्धन पूजा समाज और देश के आर्थिक एवं सांस्कृतिक संसाधनों के संरक्षण का प्रतीक है। भैयादूज के पावन पर्व पर प्रदेशवासियों, विशेषकर महिलाओं को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पर्व भाई-बहनों के आपसी प्रेम और मातृ शक्ति के सम्मान को प्रदर्शित करता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दीपावली के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘स्वदेशी अपनाओ, देश बचाओ’ के मंत्र को अपनाते हुए हमें स्वदेशी और स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना चाहिए। इससे हम आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को पूरा करने में योगदान दे सकते हैं। उन्होंने बताया कि स्वदेशी सामान खरीदने से स्थानीय कारीगरों, कुटीर उद्योगों और महिला स्वयं सहायता समूहों को सीधा लाभ होता है।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि उत्तराखंड के कारीगरों की परंपरा और कौशल बहुत समृद्ध हैं। मिट्टी के दीये, हस्तनिर्मित सजावटी सामान, जैविक उत्पाद और पहाड़ी खाद्य पदार्थ न केवल स्थानीय स्तर पर पसंद किए जाते हैं, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना रहे हैं। उन्होंने सभी से अपील की कि इस दीपावली पर स्वदेशी उत्पादों से अपने घरों को सजाएं और रोशन करें, ताकि किसी और के घर में भी खुशियों की रोशनी फैल सके।