क्या दिन भर एक जगह पड़े रहना आपको बीमार कर सकता है? जानें आयुर्वेदिक समाधान

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क्या दिन भर एक जगह पड़े रहना आपको बीमार कर सकता है? जानें आयुर्वेदिक समाधान

सारांश

आज की डिजिटल जीवनशैली ने लोगों को शारीरिक रूप से निष्क्रिय बना दिया है, जिससे अनेक स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। जानें कि किस प्रकार आयुर्वेदिक उपायों से इन समस्याओं से बचा जा सकता है।

Key Takeaways

  • नियमित व्यायाम से स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  • संतुलित आहार आवश्यक है।
  • शारीरिक गतिविधि मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है।
  • आयुर्वेदिक उपायों से स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
  • छोटे बदलावों से गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है।

नई दिल्ली, 18 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। आज की डिजिटल और व्यस्त जीवनशैली ने मनुष्यों को शारीरिक रूप से इतना निष्क्रिय बना दिया है कि इसका स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। घंटों तक एक ही स्थान पर बैठना, मोबाइल और लैपटॉप की स्क्रीन पर लगातार ध्यान केंद्रित करना और शारीरिक श्रम से दूरी बनाना अब सामान्य हो गया है। यह निष्क्रियता धीरे-धीरे अनेक बीमारियों की जड़ बनती जा रही है।

आयुर्वेद के अनुसार, जब शरीर को उचित मात्रा में गतिविधि नहीं मिलती, तो वात, पित्त और कफ तीनों दोष असंतुलित होकर अनेक रोगों को जन्म देते हैं। चरक संहिता में स्पष्ट कहा गया है कि नियमित व्यायाम से स्वास्थ्य, दीर्घायु, बल और मानसिक सुख प्राप्त होते हैं।

शारीरिक गतिविधि की कमी से मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, जोड़ों का दर्द, मानसिक तनाव, पाचन विकार और प्रतिरक्षा प्रणाली की कमजोरी जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। लगातार बैठे रहने से मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, वसा जमा होती है, रक्त संचार बाधित होता है और हार्मोन असंतुलन के कारण मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है।

आयुर्वेद में इन समस्याओं के लिए प्राकृतिक और घरेलू समाधान बताए गए हैं। सबसे पहला उपाय है दैनिक व्यायाम। सुबह कम से कम 30 मिनट टहलना या हल्की दौड़ लगाना अत्यंत लाभकारी है। सूर्य नमस्कार को संपूर्ण व्यायाम माना गया है जो शरीर को संतुलन, लचीलापन और ऊर्जा प्रदान करता है। साथ ही, ताड़ासन, त्रिकोणासन, भुजंगासन जैसे सरल आसन नियमित रूप से करने चाहिए। प्राणायाम जैसे अनुलोम-विलोम, कपालभाति और सूर्यभेदी नाड़ी शरीर के दोषों को संतुलित कर मानसिक शांति भी देते हैं।

संतुलित आहार भी आवश्यक है। भारी, तली-भुनी चीजों की बजाय हरी सब्जियां, अंकुरित अनाज, फल और हल्का भोजन करना चाहिए। सुबह गुनगुना पानी या त्रिफला जल पीना पाचन में सहायक होता है। भोजन के बाद कुछ देर टहलना पाचन क्रिया को सुचारू बनाता है। अभ्यंग यानी तेल मालिश भी आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण अभ्यास माना गया है, जिससे शरीर की थकान दूर होती है और स्नायु मजबूत होते हैं।

शारीरिक गतिविधि केवल शरीर के लिए नहीं, बल्कि मन और आत्मा के लिए भी आवश्यक है। यदि हम डिजिटल जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव करें, तो हम अनेक गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं।

Point of View

मैं यह कह सकता हूँ कि आज की डिजिटल युग में शारीरिक गतिविधि की कमी एक गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है। यह न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है, बल्कि यह राष्ट्रीय स्वास्थ्य के लिए भी खतरा बन सकता है। इस समस्या से निपटने के लिए हमें सभी स्तरों पर जागरूकता और सक्रियता की आवश्यकता है।
NationPress
18/10/2025

Frequently Asked Questions

क्यों एक जगह पर बैठना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है?
एक जगह पर लंबे समय तक बैठने से मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, जिससे मोटापा, मधुमेह और हृदय रोग जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
आयुर्वेद में शारीरिक गतिविधि का क्या महत्व है?
आयुर्वेद के अनुसार, शारीरिक गतिविधि से शरीर में वात, पित्त और कफ का संतुलन बना रहता है, जिससे स्वास्थ्य में सुधार होता है।
क्या नियमित व्यायाम करने से बीमारियों से बचा जा सकता है?
जी हां, नियमित व्यायाम करने से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है और अनेक बीमारियों से बचा जा सकता है।