क्या सीएम हेमंत सोरेन ने आदिवासी प्रतिनिधियों के साथ जनजातीय समाज के मुद्दों पर संवाद किया?
सारांश
Key Takeaways
- आदिवासी प्रतिनिधियों से संवाद का आयोजन
- आंदोलनों को संरक्षित करने का संकल्प
- झारखंड में उच्च शिक्षा की सुविधाएँ
- प्रकृति और विकास के बीच संतुलन
- समाज के सशक्तीकरण की दिशा में कदम
रांची, ५ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को कांके रोड स्थित अपने आवास में विभिन्न राज्यों से आए आदिवासी प्रतिनिधियों के साथ एक महत्वपूर्ण संवाद किया। इस अवसर पर देशभर में चल रहे आदिवासी आंदोलनों और अधिकारों के संघर्षों को संगठित करने का संकल्प लिया गया।
सीएम सोरेन ने कहा कि झारखंड की मिट्टी स्वाभिमान, संघर्ष और आदिवासी पहचान की प्रतीक है। धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा और दिशोम गुरु शिबू सोरेन जैसे अनेक आदिवासी नेताओं ने अपने संघर्षों के माध्यम से जनजातीय समाज को नई पहचान दी है। उन्होंने बताया कि आदिवासी समाज का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान ऐतिहासिक रहा है और आज भी यह समुदाय सांस्कृतिक मूल्यों, प्रकृति संरक्षण और जीवन पद्धति को आगे बढ़ा रहा है।
मुख्यमंत्री ने आदिवासी समाज की शिक्षा, संस्कृति और अधिकारों के संरक्षण के लिए राज्य सरकार की योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि झारखंड देश का पहला राज्य है, जहाँ आदिवासी छात्रों को सरकारी खर्च पर विदेश में उच्च शिक्षा की सुविधा दी जा रही है। इसके अतिरिक्त, समुदाय की सामाजिक और वैचारिक प्रगति के लिए विभिन्न योजनाएँ चलाई जा रही हैं।
सीएम ने कहा कि आदिवासी समाज हमेशा से प्रकृति का संरक्षक रहा है और पर्यावरण संरक्षण इसके जीवन का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि आधुनिक विकास में प्राकृतिक संसाधनों का अति-उपयोग कई प्राकृतिक आपदाओं का कारण बन रहा है, इसलिए प्रकृति और विकास के बीच संतुलन बनाए रखना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि सरकार जल, जंगल और जमीन के अधिकारों के संरक्षण के लिए कार्य कर रही है। उपस्थित प्रतिनिधियों ने कहा कि आदिवासी समाज की समस्याएँ सभी राज्यों में समान हैं, इसलिए एक समन्वित नेतृत्व और नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता है। प्रतिनिधियों ने झारखंड सरकार के प्रयासों की सराहना की और इसे अन्य राज्यों के लिए एक उदाहरण बताया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार सामाजिक रूप से कमजोर वर्गों के सशक्तीकरण के प्रति प्रतिबद्ध है और भविष्य में जनसंपर्क और संवाद आधारित अभियानों में उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने कहा कि समाज की असली समस्याओं को राष्ट्रीय विमर्श में शामिल किया जाएगा। इस कार्यक्रम में मंत्री दीपक बिरुआ, मंत्री चमरा लिंडा, विधायक कल्पना सोरेन और अशोक चौधरी सहित विभिन्न राज्यों से लगभग १०० प्रतिनिधि उपस्थित थे।