क्या एनडीए सरकार में मुस्लिम समुदाय के कल्याण के लिए लगातार काम हो रहा है? - सीएम नीतीश कुमार
सारांश
Key Takeaways
- एनडीए सरकार में मुस्लिम समुदाय के लिए बजट में 306 गुना वृद्धि।
- 8,000 कब्रिस्तानों की घेराबंदी की गई।
- मादरसों को सरकारी मान्यता दी गई।
- तलाकशुदा महिलाओं को 25,000 रुपए की सहायता।
- साम्प्रदायिक दंगों की जांच और मुआवज़ा।
पटना, 25 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को कहा कि 24 नवंबर को जब से एनडीए की सरकार का गठन हुआ, तब से मुस्लिम समुदाय के कल्याण के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2025-26 में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के बजट में 306 गुना की वृद्धि करके 1080.47 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
सीएम नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट में उल्लेख किया कि वर्ष 2005 से पहले राज्य में मुस्लिम समुदाय के लिए कोई भी कार्य नहीं किए गए थे। उस समय बिहार में शासन कर रही सरकार ने मुस्लिमों को केवल वोट बैंक के रूप में देखा। परिणामस्वरूप, राज्य के विभिन्न हिस्सों में रोज़ाना साम्प्रदायिक झगड़े होते रहते थे।
उन्होंने कहा कि अब साम्प्रदायिक घटनाओं को रोकने के लिए वर्ष 2006 से संवेदनशील कब्रिस्तानों की घेराबंदी का कार्य प्रारंभ किया गया। अब तक 8000 से अधिक कब्रिस्तानों की घेराबंदी हो चुकी है। मुस्लिम समुदाय के सहयोग से 1273 और कब्रिस्तानों को घेराबंदी के लिए चिन्हित किया गया है, जिसमें से 746 कब्रिस्तानों की घेराबंदी पूरी हो चुकी है और शेष जल्द ही पूरी की जाएगी।
सीएम नीतीश ने बताया कि जब विपक्ष में थे, तब 1989 में भागलपुर में साम्प्रदायिक दंगे हुए थे। उस समय सरकार द्वारा दंगों को रोकने में नाकामी रही और दंगा पीड़ितों के लिए पूर्व की सरकारों ने कोई सहायता नहीं की। जब हमें सेवा का अवसर मिला, तो भागलपुर दंगे की जांच की गई और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की गई, साथ ही दंगा पीड़ितों को मुआवज़ा भी दिया गया।
उन्होंने कहा कि मदरसों का निबंधन किया गया और उन्हें सरकारी मान्यता प्रदान की गई। मदरसे के शिक्षकों को सरकारी शिक्षकों के समान वेतन दिया जा रहा है। इसके अलावा, मुस्लिम परित्यक्ताओं और तलाकशुदा महिलाओं को रोजगार के लिए 2007 से 10,000 रुपए की सहायता दी जा रही थी, जिसे अब बढ़ाकर 25,000 रुपए कर दिया गया है।
उन्होंने आगे लिखा, "अब बिहार विधानसभा चुनाव के समय में कुछ लोग फिर से मुस्लिम समुदाय के हितैषी का दिखावा कर रहे हैं। यह सब छलावा है। केवल मुस्लिम समुदाय के वोट हासिल करने के लिए विभिन्न प्रकार के लालच और हथकंडे अपनाए जा रहे हैं, जबकि उन्हें किसी भी प्रकार की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी देने का प्रयास नहीं किया जा रहा।"