क्या कोडीन कफ सिरप का गैर-चिकित्सीय उपयोग सिद्ध हुआ है?
सारांश
Key Takeaways
- कोडीन युक्त कफ सिरप का अवैध उपयोग गंभीर समस्या है।
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अभियान की शुरुआत की है।
- 52 जनपदों में 332 से अधिक थोक विक्रेताओं की जांच की गई।
- नशे के सौदागरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है।
- अवैध भंडारण और वितरण पर नियंत्रण के लिए एफएसडीए सक्रिय है।
लखनऊ, 29 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले पौने 9 वर्षों में अवैध नशे के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की है। योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के अंतर्गत तेज़ी से उठाए गए कदमों ने अवैध नशे के कारोबारियों की कमर तोड़ दी है। इसी संदर्भ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) को कोडीन युक्त कफ सिरप एवं एनडीपीएस श्रेणी की औषधियों के अवैध भंडारण, क्रय-विक्रय, वितरण और अवैध डायवर्जन पर प्रभावी नियंत्रण हेतु अभियान चलाने का निर्देश दिया।
सीएम योगी के आदेश पर तीन महीने पहले यह अभियान प्रारंभ किया गया। विभाग ने कोडीन युक्त कफ सिरप के अवैध डायवर्जन की पहले से गहन जांच की। इसके तहत झारखंड, हरियाणा, हिमाचल और उत्तराखंड जैसे राज्यों में विवेचना की गई और यूपी के सुपर स्टॉकिस्ट और होलसेलर के साथ उनके कारोबारी रिश्तों के सबूत इकट्ठा किए गए। इसके पश्चात प्रदेश में क्रैकडाउन शुरू हुआ, जिसने सिरप के अवैध डायवर्जन की परतें उधेड़ दीं।
एसएसडीए की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस और एसटीएफ ने नशे के सौदागरों को पकड़ने हेतु कार्रवाई शुरू की। सीएम के निर्देश पर सिरप का नशे के रूप में उपयोग करने वालों के खिलाफ एनडीपीएस एवं बीएनएस के तहत मुकदमे दर्ज किए गए। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मामले में एनडीपीएस एक्ट के तहत मुकदमा चलाने को सही ठहराते हुए 22 मामलों में आरोपियों की रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया।
एफएसडीए ने पिछले तीन माह में कोडीन युक्त कफ सिरप और एनडीपीएस श्रेणी की औषधियों के अवैध भंडारण, क्रय-विक्रय, वितरण और अवैध डायवर्जन पर कुल 52 जनपदों में 332 से अधिक थोक औषधि विक्रय प्रतिष्ठानों की जांच की। जांच के दौरान प्राप्त अभिलेखीय एवं भौतिक साक्ष्यों के आधार पर 36 जनपदों की कुल 161 फर्मों/संचालकों के खिलाफ बीएनएस तथा एनडीपीएस एक्ट की सुसंगत धाराओं के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई गई। साथ ही, जिलाधिकारियों को गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई के लिए पत्र लिखा गया ताकि अवैध नशे से अर्जित संपत्ति को जब्त किया जा सके।
सीएम योगी के निर्देश पर एफएसडीए ने कोडीन युक्त कफ सिरप की नशे के रूप में तस्करी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की, जो पूरे देश में सबसे बड़ा क्रैकडाउन है। एफएसडीए आयुक्त ने मामले की तह तक पहुंचने के लिए जनपद स्तर पर कई टीमें बनाईं। टीमों की निगरानी के लिए मुख्यालय पर एक टीम बनाई गई। विभिन्न टीमों ने जांच के लिए विभिन्न प्रदेशों में जाकर गोपनीय तरीके से साक्ष्य जुटाए।
टीम ने कोडीन युक्त कफ सिरप निर्माता फर्मों की जांच के लिए हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड का दौरा किया। यहां से सिरप के निर्माण और वितरण से संबंधित अभिलेख जुटाए। इसके बाद सिरप के क्रय-विक्रय अभिलेख के लिए रांची, दिल्ली और लखनऊ की ओर रुख किया। इस दौरान पाया गया कि अधिकांश होलसेल के पास स्टॉक पहुंचने का सत्यापन नहीं है और रिटेल मेडिकल स्टोर के नाम पर कोई भी विक्रय बिल नहीं मिला।
बाद में, पूरी चेन को कनेक्ट किया गया और सिरप के अवैध डायवर्जन का मामला सामने आया। कई मामलों में फर्में विक्रय बिल प्रस्तुत करने में असफल रहीं। प्रस्तुत विक्रय विवरणों में भी किसी भी फुटकर औषधि प्रतिष्ठान को कोडीन युक्त कफ सिरप की वास्तविक आपूर्ति का सत्यापन नहीं हो सका। वर्ष 2024-25 में प्रदेश में कोडीन युक्त कफ सिरप की आपूर्ति वास्तविक चिकित्सीय आवश्यकता से कई गुना अधिक पाई गई।
जांच में ऐबोट हेल्थ केयर द्वारा निर्मित फेन्सिडिल की 2.23 करोड़ से अधिक बोतलें, लैबोरेट फार्मास्युटिकल्स द्वारा निर्मित एस्कॉफ की 73 लाख से अधिक बोतलें तथा अन्य कंपनियों द्वारा निर्मित लगभग 25 लाख बोतलों की आपूर्ति दर्ज मिली, जिनका चिकित्सीय उपयोग प्रमाणित नहीं हो सका।
एफएसडीए ने सीएम और पुलिस को रिपोर्ट सौंपी। बाद में रिपोर्ट के आधार पर पुलिस और एसटीएफ ने 79 अभियोग दर्ज किए, जिसमें अब तक 85 अभियुक्तों की गिरफ्तारी हो चुकी है। वर्तमान में कार्रवाई जारी है। वहीं, मामले में गठित एसआईटी भी जांच कर रही है। जानकारों के अनुसार अगले माह एसआईटी जांच रिपोर्ट सीएम को सौंप सकती है।
मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर एफएसडीए मुख्यालय द्वारा थोक औषधि विक्रय लाइसेंसिंग प्रणाली को और अधिक सख्त एवं पारदर्शी बनाने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। इसमें थोक प्रतिष्ठान की जीओ टैगिंग, भंडारण क्षमता की पुष्टि और इनकी फोटोग्राफ कराने का प्रस्ताव शामिल है। साथ ही, प्रतिष्ठान के टेक्निकल पर्सन के अनुभव प्रमाण पत्र को ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा सत्यापित करने का भी प्रस्ताव भेजा गया है। कोडीन युक्त कफ सिरप के निर्माण, बल्क सप्लाई, वितरण एवं निगरानी के लिए भारत सरकार से आवश्यक अधिसूचना एवं दिशा-निर्देश जारी करने के लिए प्रस्ताव भेजा जा रहा है।