क्या कांग्रेस ने चारा घोटाले में लालू प्रसाद को बचाने की कोशिश की थी?
सारांश
Key Takeaways
- कांग्रेस ने लालू प्रसाद यादव को गिरफ्तारी से बचाने की कोशिश की।
- बिहार में चारा घोटाला एक बड़ा राजनीतिक विवाद बना।
- सीबीआई की जांच ने कई नेताओं की भूमिका को उजागर किया।
- इस घोटाले का गहरा नकारात्मक प्रभाव लालू के करियर पर पड़ा।
- घोटाले की रकम ₹950 करोड़ तक पहुंची।
नई दिल्ली, 26 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। सीबीआई के पूर्व संयुक्त निदेशक उपेंद्र नाथ बिस्वास ने यह खुलासा किया है कि चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव को "बख्शने" के लिए कांग्रेस ने किस प्रकार की राजनीतिक चालें चली थीं।
उपेंद्र नाथ बिस्वास ने राष्ट्र प्रेस को बताया कि किस तरह कांग्रेस ने ₹950 करोड़ के इस घोटाले में अपने प्रमुख सहयोगी और राजद प्रमुख लालू प्रसाद को गिरफ्तारी से बचाने के लिए पर्दे के पीछे से प्रयास किए, लेकिन सभी कोशिशें नाकाम रहीं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने तब के प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा पर दबाव डाला कि वह लालू प्रसाद यादव की गिरफ्तारी को रोकें। जब उनकी कोशिशें असफल रहीं, तो कांग्रेस ने उनकी सरकार से समर्थन वापस ले लिया।
एक विशेष बातचीत में, सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी ने 1990 के दशक में इस विवादास्पद जांच के दौरान कांग्रेस द्वारा लालू प्रसाद यादव को पूरा समर्थन देने की आलोचना की।
उन्होंने बताया कि लालू प्रसाद यादव गिरफ्तारी से बचने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बना रहे थे। उन्होंने अपने गुरु और तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम केसरी से अपील की कि केंद्र सरकार से समर्थन वापस लिया जाए, और केसरी ने उनकी बात मान ली। सीबीआई की सफलता का श्रेय अदालतों की कड़ी निगरानी को दिया गया।
पूर्व सीबीआई अधिकारी ने बताया कि सीताराम केसरी ने ही लालू प्रसाद यादव को इस्तीफा देने और राबड़ी देवी को बिहार का नया मुख्यमंत्री बनाने की सलाह दी थी।
चारा घोटाले के दौरान दिल्ली के सत्ता के गलियारों में मची हलचल की जानकारी देते हुए उपेंद्र नाथ बिस्वास ने कहा कि गिरफ्तारी से बचने की कोशिश में लालू प्रसाद यादव ने अगले प्रधानमंत्री आईके गुजराल से भी मदद मांगी, लेकिन प्रधानमंत्री ने मना कर दिया।
सेवानिवृत्त सीबीआई अधिकारी ने बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव द्वारा गिरफ्तारी से बचने के लिए की गई सभी कोशिशों को भी याद किया।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव की गिरफ्तारी का आदेश दिया। जब सीबीआई उनके घर पहुंची, तो उन्होंने स्थानीय पुलिस का घेरा बना दिया और हमें अंदर नहीं जाने दिया।
उन्होंने यह भी कहा कि सीबीआई अधिकारियों ने मुख्यमंत्री आवास में घुसने के लिए सेना की मदद मांगने की कोशिश की, लेकिन सेना ने लिखित में अनुमति मांगी।
बाद में 29-30 जुलाई, 1997 को बिहार पुलिस की मदद से लालू प्रसाद यादव को गिरफ्तार कर लिया गया, जिससे उनके करियर पर गहरा नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
चारा घोटाला 1990-91 और 1995-96 के दौरान सामने आया। इसके तहत, तत्कालीन बिहार पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने बेईमान आपूर्तिकर्ताओं के साथ मिलकर सैकड़ों करोड़ रुपए का गबन किया।