क्या कांग्रेस अब गांधीवादी नहीं, बल्कि गालीवादी पार्टी बन गई है? आरपी सिंह का बयान

सारांश
Key Takeaways
- विपक्ष की बयानबाजी ने राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है।
- आरपी सिंह ने कांग्रेस की स्थिति पर तीखा हमला बोला है।
- राजनीति में नीचता की सीमा पार हो गई है।
- प्रमुख नेताओं की अनुपस्थिति लोकतंत्र के लिए चिंताजनक है।
- क्रॉस वोटिंग ने विपक्ष की रणनीति पर सवाल उठाए हैं।
नई दिल्ली, 12 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव की नजदीकी के साथ-साथ राजनीतिक बयानबाजी और विवादों का सिलसिला तेज हो गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता आरपी सिंह ने एक वायरल एआई वीडियो पर विपक्ष पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि इस वीडियो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वर्गीय मां का अपमान करने का दावा किया गया है।
आरपी सिंह ने इस वीडियो को शर्मनाक और निंदनीय बताते हुए कहा, "यह विपक्ष का नैतिक दिवालियापन दर्शाता है। कांग्रेस अब गांधीवादी नहीं, बल्कि गालीवादी बन गई है। बिहार की राजनीति में प्रधानमंत्री की स्वर्गीय माता को घसीटने का जवाब बिहार की जनता देगी। यह हरकत विपक्ष की नीचता की पराकाष्ठा है।"
आरपी सिंह ने उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन के शपथग्रहण समारोह में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की अनुपस्थिति पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "विपक्ष को लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में विश्वास नहीं है। उपराष्ट्रपति का शपथग्रहण एक संवैधानिक कार्यक्रम है, जिसमें विपक्ष के नेताओं को शामिल होना चाहिए था। लेकिन यह स्पष्ट है कि विपक्ष को लोकतंत्र से कोई सरोकार नहीं है। देश की जनता इस गैर-जिम्मेदाराना रवैये को माफ नहीं करेगी।"
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के उस बयान पर भी आरपी सिंह ने पलटवार किया, जिसमें स्टालिन ने राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का विरोध किया था।
आरपी सिंह ने कहा, "एसआईआर को सुप्रीम कोर्ट ने मान्यता दी है। चुनाव आयोग ने इसे पूरे देश में लागू करने का निर्णय लिया है। तमिलनाडु भी भारत का हिस्सा है, इसलिए इस प्रक्रिया पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। सीएम एमके स्टालिन की राय लोकतंत्र के खिलाफ है।"
उपराष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग के मुद्दे पर भी आरपी सिंह ने विपक्ष को घेरा। उन्होंने कहा, "क्रॉस वोटिंग हुई, यह सत्य है। विपक्ष के कुछ नेताओं ने एनडीए को वोट दिया, क्योंकि उन्होंने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनी। विपक्ष को इस पर चिंतन करना चाहिए कि उनकी रणनीति में क्या कमी रही।"