क्या मुंबई में कांग्रेस का कोई वजूद नहीं? आनंद दुबे का बयान
सारांश
Key Takeaways
- कांग्रेस का राजनीतिक वजूद संकट में है।
- आनंद दुबे ने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
- बीएमसी चुनाव के लिए कांग्रेस ने अकेले लड़ने का निर्णय लिया है।
- पार्टी के भीतर घमंड का आना उनके लिए चुनौती है।
- भगवद गीता का पाठ अनिवार्य करने का निर्णय स्वागत योग्य है।
मुंबई, 22 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन के भीतर दरारें दिखाई दे रही हैं। बीएमसी (बृहन्मुंबई महानगरपालिका) चुनावों से पहले कांग्रेस ने राज्य में अकेले मुकाबला करने का निर्णय लिया है। इस क्रम में, शिवसेना (यूबीटी) के प्रवक्ता आनंद दुबे ने सोमवार को कांग्रेस पर तीखा हमला किया।
आनंद दुबे ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "कांग्रेस को यह तय करने का अधिकार है कि उसे चुनाव किसके साथ लड़ना है या किसके खिलाफ। कांग्रेस ने बिहार में 61 सीटों पर चुनाव लड़ा और नतीजे सबने देखे हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "पिछले 35-40 सालों से हरियाणा, महाराष्ट्र, यूपी-बिहार में कांग्रेस का कोई वजूद नहीं है। पश्चिम बंगाल, गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्यों में भी वह लंबे समय से सत्ता से बाहर है। इसके बावजूद, हमने 2019 में कांग्रेस को अपने साथ लिया और उसे संकट से निकालने का प्रयास किया। किनारे पहुँचते ही कांग्रेस नेताओं में घमंड आ गया। मुंबई में कांग्रेस का कोई वजूद नहीं है। यहाँ वह एक टूरिस्ट पार्टी के रूप में रह गई है।"
सीट शेयरिंग को लेकर आनंद दुबे ने कहा, "संजय राउत लगातार राज ठाकरे के संपर्क में हैं। सीट शेयरिंग कभी भी अंतिम रूप ले सकती है। चुनाव लड़ने की प्रक्रिया का विवरण जल्द ही जारी किया जाएगा। नामांकन प्रक्रिया कल से शुरू होगी और एक सप्ताह तक चलेगी। हमारे कई उम्मीदवार नामांकन दाखिल करना शुरू कर देंगे।"
उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में भगवद गीता का पाठ अनिवार्य करने के निर्णय पर आनंद दुबे ने कहा, "यह एक स्वागत योग्य कदम है। भगवद गीता का प्रभाव न केवल भारत में बल्कि सम्पूर्ण विश्व में है। जब भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का जो ज्ञान दिया, उस पर पूरी दुनिया गौर करती है। हम भी देवेंद्र फडणवीस से यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे कि स्कूलों के पाठ्यक्रम में भगवद गीता को शामिल किया जाए।"