क्या मध्य प्रदेश में कांग्रेस के बड़े नेताओं की ब्लॉक स्तर पर ड्यूटी है?, जीतू पटवारी
सारांश
Key Takeaways
- कांग्रेस की ब्लॉक स्तर पर ड्यूटी प्रमुख नेताओं की जिम्मेदारी बढ़ाने का कदम है।
- भाजपा की नीयत पर सवाल उठाना सतर्कता का संकेत है।
- एसआईआर प्रक्रिया मतदाता के हित की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
भोपाल, 17 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया चल रही है। इस पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा है कि मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में कांग्रेस को और भी अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। इसलिए राज्य के सभी प्रमुख नेताओं की ब्लॉक स्तर पर ड्यूटी लगाई गई है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पटवारी ने सोमवार को संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि राज्य में एसआईआर का कार्य जारी है, और पार्टी ने छोटे से लेकर बड़े नेताओं की सक्रियता को लेकर रणनीति बनाई है, जिसके तहत विधानसभा प्रभारी नियुक्त किए गए हैं। राज्य में शत प्रतिशत बीएलए बनाए गए हैं, और इसकी मॉनिटरिंग के लिए जिला स्तर पर एक मेकैनिज्म स्थापित किया गया है।
प्रशिक्षण केंद्र 100 से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में स्थापित किए गए हैं जहां बीएलए को प्रशिक्षण दिया गया है। आने वाले कुछ दिनों में सभी बीएलए को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। इसका उद्देश्य आम मतदाता के वोट की रक्षा करना है। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा की नीयत सही नहीं है, वे हेराफेरी करके सत्ता पर कब्जा करना चाहते हैं, इसलिए कांग्रेस को और अधिक सतर्क रहना आवश्यक है। पार्टी ने राज्य को 1047 ब्लॉक में बांट दिया है और इन ब्लॉकों की जिम्मेदारी राज्य के सभी बड़े नेताओं को सौंपी गई है। मुझे भी एक ब्लॉक का प्रभारी बनाया गया है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पटवारी ने भाजपा नेताओं के विवादास्पद बयानों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वोट चुराकर सत्ता का मद भाजपा के नेताओं के सिर पर चढ़ गया है। अभी राज्य के मंत्री इंदर सिंह परमार ने जिस तरह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पर टिप्पणी की, वह उनके संस्कारों को दर्शाता है। वहीं मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कर्मचारियों पर टिप्पणी की, यह उनके संस्कारों को प्रदर्शित करता है। इतना ही नहीं, पूर्व मंत्री फगन सिंह कुलस्ते ने कहा है कि इसे छोटी-छोटी घटनाएं बताया गया है, यह भाजपा का चाल, चेहरा और चरित्र है।
भाजपा की बिहार में जीत पर सवाल उठाते हुए पटवारी ने कहा कि बिहार में स्ट्राइक रेट 90 प्रतिशत से ऊपर है, महाराष्ट्र में भी यही स्थिति है और अन्य राज्यों में भी जीत का स्ट्राइक रेट 90 प्रतिशत से ऊपर है। यह अपने आप में एक संदेश है कि चुनाव आयोग भाजपा के एजेंट के रूप में कार्य कर रहा है।