क्या कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीपी थंकाचन का निधन हो गया?

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क्या कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीपी थंकाचन का निधन हो गया?

सारांश

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीपी थंकाचन का निधन, प्रियंका गांधी ने जताया शोक। उनकी राजनीतिक यात्रा और योगदान के बारे में जानें।

Key Takeaways

  • पीपी थंकाचन का निधन राजनीति में एक बड़ा नुकसान है।
  • उनकी कार्यशैली और जनता से जुड़ाव ने उन्हें खास बनाया।
  • वे कृषि मंत्री रहते हुए कई योजनाओं पर कार्यरत रहे।
  • उनकी राजनीतिक यात्रा ने उन्हें केरल में एक महत्वपूर्ण नेता के रूप में स्थापित किया।
  • राजनीतिक दलों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।

नई दिल्ली, 11 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं केरल विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष पीपी थंकाचन का निधन गुरुवार को 86 वर्ष की आयु में हो गया। वे कुछ समय से उम्र संबंधित बीमारियों से जूझ रहे थे और अलुवा के एक निजी अस्पताल में भर्ती थे। छाती में संक्रमण के बढ़ने के कारण उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था, लेकिन उपचार के बावजूद उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ और उन्होंने शाम 4:30 बजे अंतिम सांस ली। उनके निधन से केरल की राजनीति में शोक की लहर दौड़ गई है।

पीपी थंकाचन का जन्म 29 जुलाई 1939 को एर्नाकुलम जिले के अंगमाली में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद कम उम्र में ही राजनीति की राह चुनी। 26 वर्ष की आयु में वे पेरुम्बावूर नगरपालिका के चेयरमैन बने और यहीं से उनका सक्रिय राजनीतिक सफर शुरू हुआ। उनकी कार्यशैली और जनता से जुड़ाव ने उन्हें राजनीति में एक मजबूत स्थान दिलाया।

थंकाचन ने 1982 में पहली बार पेरुम्बावूर से विधानसभा चुनाव जीता और विधायक बने। इसके बाद उन्होंने 2001 तक लगातार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। विधानसभा में अपने लंबे कार्यकाल के दौरान वे कई महत्वपूर्ण भूमिकाओं में रहे। 1987 से 1991 तक उन्होंने विपक्ष के मुख्य सचेतक के रूप में काम किया और 1995-96 में केरल के कृषि मंत्री के रूप में किसानों और ग्रामीण विकास से जुड़ी कई योजनाओं को आगे बढ़ाया। उनके प्रयासों ने कृषि क्षेत्र में सुधार की दिशा में उल्लेखनीय योगदान दिया।

सिर्फ विधानसभा तक सीमित न रहते हुए, थंकाचन ने कांग्रेस संगठन में भी अहम भूमिका निभाई। 2004 में उन्हें केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। वे यूडीएफ संयोजक, रबर बोर्ड के सदस्य और मार्केटफेड के चेयरमैन जैसे विभिन्न पदों पर भी सक्रिय रहे। उनकी राजनीतिक यात्रा समर्पण, निष्ठा और जनसेवा के आदर्श उदाहरण के रूप में देखी जाती है।

पीपी थंकाचन के निधन पर राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक दलों ने गहरा शोक व्यक्त किया है। प्रियंका गांधी वाड्रा ने उन्हें याद करते हुए कहा कि वे एक समर्पित नेता थे जिन्होंने प्रतिबद्धता और लगन के साथ केरल के लोगों की सेवा की। इस कठिन समय में मेरी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं उनके परिवार के साथ हैं। इसके अलावा कांग्रेस नेता रमेश चेन्निथला, केपीसीसी अध्यक्ष सनी जोसेफ, यूडीएफ संयोजक अडूर प्रकाश, सांसद के. सी. वेणुगोपाल और माकपा राज्य सचिव एम. वी. गोविंदन ने भी अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं।

पीआईएम/डीएससी

Point of View

हम पीपी थंकाचन की राजनीतिक यात्रा को समर्पण और जनसेवा का आदर्श उदाहरण मानते हैं। उनके योगदान ने केरल की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया। यह समय उनके परिवार और समर्थकों के लिए कठिन है, और हम सभी को एकजुट होकर इस क्षति का सामना करना चाहिए।
NationPress
11/09/2025

Frequently Asked Questions

पीपी थंकाचन का निधन कब हुआ?
पीपी थंकाचन का निधन 11 सितंबर को हुआ।
वे कितने वर्ष के थे?
वे 86 वर्ष के थे।
उनका योगदान किस क्षेत्र में था?
उनका योगदान मुख्य रूप से कृषि और राजनीति में था।
प्रियंका गांधी ने क्या कहा?
प्रियंका गांधी ने उन्हें समर्पित नेता बताया और उनके परिवार के प्रति संवेदनाएं व्यक्त कीं।
उनकी शिक्षा कहां हुई थी?
उनकी शिक्षा केरल में हुई थी।