क्या कांग्रेस की मांग, शैक्षणिक संस्थानों में आरएसएस-एबीवीपी पर नकेल कसी जाए?

सारांश
Key Takeaways
- आरएसएस और एबीवीपी पर शैक्षणिक संस्थानों में प्रतिबंध की मांग।
- कांग्रेस ने कार्रवाई की मांग की है।
- युवाओं के हितों की रक्षा करना जरूरी है।
- सुरक्षित शैक्षणिक माहौल का होना आवश्यक।
- राजनीतिक विचारधाराओं का प्रभाव छात्रों पर।
नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस ने विभाजनकारी विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए आरएसएस और एबीवीपी को शैक्षणिक संस्थानों से प्रतिबंधित करने की मांग की है। कांग्रेस ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) कार्यकर्ताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की भी मांग की।
शुक्रवार को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए एबीवीपी की अध्यक्ष अलका लांबा और एनएसयूआई के अध्यक्ष वरुण चौधरी ने कहा कि भाजपा नेताओं द्वारा एबीवीपी कार्यकर्ताओं का बचाव करना बेहद शर्मनाक है।
लांबा ने स्पष्ट किया कि वे मध्य प्रदेश की सरकार को इन एबीवीपी कार्यकर्ताओं के खिलाफ कोई भी नरमी नहीं बरतने देंगी। उन्होंने कहा कि लड़कियों की गरिमा और सम्मान के साथ कोई खेलवाड़ नहीं हो सकता। दिल्ली स्थित दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय में एक छात्रा पर हुए कथित यौन उत्पीड़न का उल्लेख करते हुए उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से जवाबदेही की मांग की।
एनएसयूआई अध्यक्ष वरुण चौधरी ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में आरएसएस और एबीवीपी का प्रतिबंध होना आवश्यक है, क्योंकि वे वहाँ विभाजनकारी विचारधारा फैला रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि एबीवीपी की नेता दीपिका झा को एक प्रोफेसर को थप्पड़ मारने के मामले में निष्कासित किया जाना चाहिए।
उन्होंने एक घटना का भी उल्लेख किया जिसमें केरल में एक आईटी पेशेवर ने यौन उत्पीड़न और शोषण के बाद आत्महत्या कर ली थी।
वरुण चौधरी ने आरोप लगाया कि भाजपा शासित राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में एनएसयूआई कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित, धमकाया और शोषित किया जा रहा है।