क्या कांग्रेस सांसद ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर चर्चा के लिए लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव दिया?

सारांश
Key Takeaways
- एसआईआर प्रक्रिया लोकतंत्र के लिए खतरा बन सकती है।
- कांग्रेस सांसद ने राजनीतिक दुरुपयोग के आरोप लगाए हैं।
- इस मुद्दे पर चर्चा की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, 22 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने बिहार की मतदाता सूची से संबंधित मामले पर लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है। इस नोटिस में उन्होंने मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) और लोकतांत्रिक अधिकारों पर इसके संभावित खतरे के मुद्दे पर चर्चा की मांग की है।
तमिलनाडु के विरुधुनगर से कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने लोकसभा कार्य संचालन और प्रक्रिया के नियम 56 के तहत यह नोटिस पेश किया है। उन्होंने इस पत्र में एसआईआर प्रक्रिया पर उठाए गए कानूनी सवालों और दस्तावेजों की आवश्यकताओं का उल्लेख किया है।
प्रस्ताव में सांसद ने उल्लेख किया, "यह सदन अपनी सामान्य कार्यवाही को स्थगित कर इस आवश्यक और जनहित के विषय पर चर्चा करे, अर्थात् बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर), जो करोड़ों योग्य नागरिकों, खासकर वंचित समुदायों के मतदान के मौलिक अधिकार को खतरे में डालता है, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की पवित्रता को चुनौती देता है।"
मणिकम टैगोर ने आरोप लगाया कि एसआईआर प्रक्रिया अपरदर्शी और मनमानी है। बिना किसी पूर्व सूचना या प्रक्रिया के हजारों नामों को मतदाता सूची से हटा दिया गया है। इसके अलावा, एसआईआर के अंतर्गत मतदाताओं से नागरिकता साबित करने के लिए जन्म प्रमाण पत्र या पासपोर्ट जैसे कड़े दस्तावेजों की मांग की जा रही है, जिसके कारण लाखों लोग अपने संवैधानिक मतदान का अधिकार खो सकते हैं।
उन्होंने 'राजनीतिक दुरुपयोग' के आरोप भी लगाए हैं। कांग्रेस सांसद ने कहा, "एसआईआर को सत्तारूढ़ गठबंधन द्वारा विपक्षी मतों को दबाने के लिए एक राजनीतिक उपकरण के रूप में देखा जा रहा है, खासकर उन समुदायों के खिलाफ जो वर्तमान सरकार का समर्थन नहीं करते। यह निष्पक्ष चुनाव के सिद्धांत और समान प्रतिनिधित्व की भावना को ठेस पहुंचाता है।"
इसके अलावा, उन्होंने अनुचित समय और रसद संबंधी चुनौतियों, संवैधानिक और कानूनी चिंताओं का भी उल्लेख किया है।
उन्होंने मांग की कि यह सदन इस महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करे कि कैसे एसआईआर लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ कार्य कर रहा है, करोड़ों योग्य मतदाताओं को मतदान के अधिकार से वंचित कर सकता है और चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता को प्रभावित कर रहा है। इसलिए, इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा के लिए सदन की सामान्य कार्यवाही स्थगित की जाए और भारत के चुनाव आयोग को हमारे संविधान में निहित लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए इन चिंताओं का समाधान करने का निर्देश दिया जाए।