क्या दर्श अमावस्या पर पितरों को प्रसन्न करने से सुख-शांति और खुशहाली आएगी?
सारांश
Key Takeaways
- दर्श अमावस्या पर पितरों का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है।
- पवित्र जल में स्नान करना और तर्पण करना आवश्यक है।
- दान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
- पक्षियों को दाना खिलाना शुभ माना जाता है।
- उपायों से पितृ दोष की शांति प्राप्त होती है।
नई दिल्ली, 18 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पौष माह के कृष्ण पक्ष पर दर्श अमावस्या इस शुक्रवार को आएगी। इस दिन सूर्य धनु राशि में और चंद्रमा रात 10 बजकर 51 मिनट तक वृश्चिक राशि में रहेंगे। इसके बाद चंद्रमा धनु राशि में स्थापित हो जाएंगे।
द्रिक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 58 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 39 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह 11 बजकर 1 मिनट से दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगा।
हर माह की अमावस्या को 'दर्श अमावस्या' के रूप में मनाया जाता है। 'दर्श' शब्द का अर्थ है 'देखना' या फिर 'दर्शन करना', और 'अमावस्या' उस दिन को कहते हैं, जब चंद्रमा आसमान में अदृश्य होता है।
पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि अमावस्या के दिन पितर धरती पर आते हैं। यह दिन पितृ तर्पण और पिंडदान के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन दान और तर्पण करने से पितरों को शांति मिलती है और साथ ही पितृ दोष भी कम होने लगते हैं।
इस तिथि पर सुबह पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए और यदि कोई नदी में स्नान नहीं कर सकता है, तो वह घर पर ही बाल्टी में नदी का जल मिला ले। नहाते समय अपने पितरों का ध्यान करें। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। इसके साथ ही साबुत उड़द और कंबल का दान करना भी शुभ होता है। इससे पितृ अपने स्थान पर सुखी और प्रसन्न रहते हैं और राहु और केतू का नकारात्मक प्रभाव भी कम होता है।
अमावस्या के दिन पक्षियों को दाना खिलाना बहुत शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि पितृ पक्षियों के रूप में आकर दाना ग्रहण करते हैं। ऐसा करने से पितरों को शांति मिलती है। पितृ की कृपा से घर-परिवार सुखी रहता है, करियर में सफलता मिलती है, और वंश वृद्धि भी होती है।
हमारे ग्रंथों में कुछ उपाय भी बताए गए हैं, जिनमें इस दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक करना और पीपल के वृक्ष पर कच्चा दूध और काला तिल चढ़ाना शामिल हैं, जिससे पितृ दोष शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।