क्या एसआई राजेंद्र सैनी की मौत के बाद परिजनों का धरना उचित है?

सारांश
Key Takeaways
- राजेंद्र सैनी की मृत्यु ने एक गंभीर मुद्दा खड़ा कर दिया है।
- परिजनों का धरना मुआवजे की मांग कर रहा है।
- सरकार की जिम्मेदारी पर सवाल उठते हैं।
- विधायक ने संवेदनहीनता का आरोप लगाया है।
- धरना तब तक जारी रहेगा जब तक मुआवजा नहीं मिलता।
दौसा, १७ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। राजस्थान के दौसा रेलवे जंक्शन के पास सोमवार की रात एक मालगाड़ी की चपेट में आने से सब-इंस्पेक्टर राजेंद्र सैनी की मौत हो गई। मृतक के परिवार के सदस्य मुआवजे और अन्य मांगों को लेकर जिला अस्पताल में धरने पर बैठे हैं। उन्होंने कहा है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, तब तक सैनी के शव का पोस्टमॉर्टम नहीं कराया जाएगा।
इस विरोध प्रदर्शन में दौसा विधायक दीनदयाल बैरवा भी शामिल हुए। उन्होंने सरकार और प्रशासन पर संवेदनहीनता का आरोप लगाया। विधायक ने कहा कि इस बड़े हादसे के बावजूद कोई भी सरकारी प्रतिनिधि मौके पर नहीं आया।
बैरवा ने राजेंद्र सैनी की मौत को हाल ही में रद्द की गई सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा से जोड़ा। उनका कहना था कि सरकार ने पहले ही भर्ती रद्द करके एक बड़ा हादसा कर दिया था, जिससे राजनीति शुरू हो गई।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब 785 निर्दोष सब-इंस्पेक्टरों में से एक, राजेंद्र सैनी, ने अवसाद में आकर आत्महत्या की, तो कोई भी सरकारी प्रतिनिधि बोलने को तैयार नहीं था।
विधायक ने कहा कि अदालत ने भर्ती रद्द होने के मामले में थोड़ी राहत दी है, लेकिन सरकार इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। उन्होंने मांग की कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा, तब तक धरना जारी रहेगा।
विधायक ने कहा कि सरकार को जल्द ही निर्णय लेना चाहिए, अन्यथा धरना और बढ़ेगा।
मंगलवार को एसडीएम मूलचंद लूणिया ने धरनार्थियों से बातचीत की। इस दौरान एक परिजन को नौकरी और राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि पर सहमति बनी, लेकिन मुआवजे की मांग पर चर्चा लंबित है।
धरने पर बैठे परिजनों और ग्रामीणों ने कहा कि जब तक उन्हें ५ करोड़ रुपए का मुआवजे का चेक नहीं मिलेगा, तब तक वे धरना समाप्त नहीं करेंगे। इस बीच, जिला अस्पताल की मोर्चरी और परिसर में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है ताकि किसी अप्रिय घटना को रोका जा सके।