क्या देहरादून में बादल फटने से भारी तबाही हुई?

Click to start listening
क्या देहरादून में बादल फटने से भारी तबाही हुई?

सारांश

देहरादून में बादल फटने की घटनाओं ने क्षेत्र में तबाही मचाई है। प्रशासन ने राहत कार्यों में तेजी दिखाई है, लेकिन दो लोग अभी भी लापता हैं। जानें कैसे प्रशासन ने इस आपदा से निपटने के लिए कदम उठाए हैं।

Key Takeaways

  • बादल फटने से भारी नुकसान हुआ है।
  • प्रशासन ने राहत कार्यों में तेजी दिखाई है।
  • लापता लोगों की तलाश जारी है।
  • निवासियों को सतर्क रहने का निर्देश दिया गया है।
  • आपदा की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन हाई अलर्ट पर है।

देहरादून, 16 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। देहरादून के सहस्रधारा क्षेत्र में सोमवार रात एक गंभीर बादल फटने की घटना हुई है। सूत्रों के अनुसार, अचानक बादल फटने से कारलीगाढ़ नदी में बाढ़ आई, जिससे आस-पास के क्षेत्रों में भीषण नुकसान हुआ है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, लगातार तेज बारिश के कारण नदी का जलस्तर अत्यधिक बढ़ गया, जिससे एक महत्वपूर्ण पुल ढह गया और नदी किनारे की संपत्तियों को भारी क्षति पहुंची है।

प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, नदी के किनारे स्थित कई दुकानें या तो पूरी तरह से नष्ट हो गईं या बह गईं। बाढ़ के तेज बहाव के कारण दो होटल भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं।

जिला प्रशासन ने आपदा की सूचना मिलते ही तत्परता से कार्रवाई की। जिला मजिस्ट्रेट सविन बंसल ने स्वयं जिम्मेदारी संभाली और सभी संबंधित विभागों के साथ समन्वय करते हुए तत्काल राहत और बचाव कार्य शुरू किया।

एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) और अन्य आपातकालीन सेवाओं को आवश्यक उपकरणों के साथ रात में ही घटनास्थल पर भेजा गया। प्रशासन ने नदी के निकट रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का कार्य प्रारंभ कर दिया है।

अधिकारियों ने पुष्टि की है कि दो लोग लापता हैं और उनकी खोज के लिए अभियान जारी है। आपदा की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन ने सभी संबंधित विभागों को हाई अलर्ट पर रखा है। घटना प्रतिक्रिया प्रणाली (आईआरएस) प्रोटोकॉल के तहत राहत कार्य तेजी से किए जा रहे हैं।

जिलाधिकारी के निर्देश पर एसडीएम कुमकुम जोशी ने रात में घटनास्थल पर पहुंचकर राहत कार्यों की निगरानी की।

प्रशासन ने निवासियों से सतर्क रहने और आधिकारिक निर्देशों का पालन करने की अपील की है। यद्यपि बादल फटने से भारी नुकसान हुआ है, प्रशासन की त्वरित प्रतिक्रिया और प्रयासों का उद्देश्य नुकसान को कम करना और प्रभावित परिवारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। लापता लोगों की खोज और पीड़ितों को सहायता प्रदान करना प्रशासन की प्राथमिकता है।

इससे पहले अगस्त में उत्तराखंड के चमोली जिले के देवाल तहसील के मोपाटा गांव में भी बादल फटने की घटना हुई थी, जिसमें दो लोग लापता हो गए थे। उस घटना में एक आवासीय मकान और एक गोशाला क्षतिग्रस्त हो गई थी, जिसमें 15 से 20 पशुओं के दबे होने की संभावना थी।

Point of View

यह स्पष्ट है कि उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति इसे प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील बनाती है। इस प्रकार के घटनाक्रमों में प्रशासन की तत्परता और प्रभावी कार्यवाही महत्वपूर्ण होती है।
NationPress
16/09/2025

Frequently Asked Questions

बादल फटने की घटना कब हुई?
बादल फटने की घटना 16 सितंबर को रात में हुई।
इस घटना में कितने लोग लापता हैं?
इस घटना में दो लोग लापता हैं।
प्रशासन ने राहत कार्य कब शुरू किया?
प्रशासन ने घटना की सूचना मिलते ही तुरंत राहत कार्य शुरू किया।
कौन-कौन से विभाग राहत कार्य में शामिल हैं?
राहत कार्य में एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, और लोक निर्माण विभाग शामिल हैं।
इससे पहले ऐसी घटना कब हुई थी?
इससे पहले अगस्त में चमोली जिले में भी बादल फटने की घटना हुई थी।