क्या दिल्ली ब्लास्ट के बाद कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा को लेकर पीएम को चिट्ठी लिखी गई?
सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली ब्लास्ट ने पूरे देश को प्रभावित किया है।
- कश्मीरी छात्रों ने पीएम को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग की है।
- जम्मू-कश्मीर छात्र संघ ने सुरक्षा और सम्मान की मांग की।
- कश्मीरी युवा देश के हर क्षेत्र में प्रगति कर रहे हैं।
- सभी छात्रों को समान अधिकार मिलने चाहिए।
नई दिल्ली, 17 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली में हुए ब्लास्ट ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इस घातक घटना में अनेक निर्दोष लोगों की जान चली गई, जिससे हर भारतीय का हृदय टूट गया है। इस संकट के समय में, जम्मू-कश्मीर छात्र संघ (जेकेएसए) ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा और सम्मान के लिए तात्कालिक हस्तक्षेप की गुहार लगाई है।
चिट्ठी में जेकेएसए ने सबसे पहले इस घटना की कड़ी निंदा की। उन्होंने लिखा कि दिल्ली में हुआ धमाका केवल राजधानी पर हमला नहीं था, बल्कि यह पूरे भारत की भावनाओं पर गहरा प्रहार था। कश्मीर के निवासी भी उतने ही दुखी हैं जितना कि देश का अन्य भाग। पीड़ित परिवारों का दु:ख जम्मू-कश्मीर के हर नागरिक का दु:ख है।
कश्मीरी छात्रों ने कहा कि वे भारत के लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों पर पूर्ण विश्वास रखते हैं। वे हमेशा अलगाववाद, कट्टरपंथ और किसी भी प्रकार की देश-विरोधी विचारधारा के खिलाफ रहे हैं। उन्होंने कभी भी हिंसा का समर्थन नहीं किया और न ही अलगाववादी सोच को स्वीकार किया। वे हमेशा देश की एकता, शांति और सद्भाव के पक्ष में खड़े रहे हैं।
जेकेएसए ने लिखा कि कश्मीर के लोगों ने हमेशा देश की सेवा में योगदान दिया है। हमारे परिवारों ने सीमाओं पर खड़े होकर देश की रक्षा की है। कई पीढ़ियों ने कठिनाइयों का सामना किया है, लेकिन भारत के भविष्य पर विश्वास कभी नहीं छोड़ा। आज का कश्मीरी युवा खेल, तकनीक, विज्ञान, शिक्षा, राजनीति, उद्यमिता और हर क्षेत्र में आगे बढ़कर देश का नाम रोशन कर रहा है।
प्रधानमंत्री विशेष छात्रवृत्ति योजना का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस योजना ने हजारों कश्मीरी छात्रों को देशभर के कॉलेजों में पढ़ने का अवसर प्रदान किया है। यह योजना कश्मीर और बाकी भारत के बीच विश्वास और जुड़ाव का पुल बनी है, लेकिन केवल अवसर देना ही पर्याप्त नहीं है। सुरक्षा, गरिमा, बराबरी, और सम्मान भी आवश्यक हैं। तभी असली राष्ट्रीय एकीकरण संभव है।
संगठन ने बताया कि दिल्ली धमाके के बाद देशभर में पढ़ने वाले कश्मीरी छात्रों में भय का माहौल बन गया है। कई छात्रों को प्रोफाइलिंग, सवाल-जवाब, और संदेह की नजरों का सामना करना पड़ा है। डर के कारण कई छात्र अपनी पढ़ाई छोड़कर कश्मीर वापस लौट आए हैं।
जेकेएसए ने कहा कि उन्हें देश की जांच एजेंसियों की क्षमता और ईमानदारी पर पूरा विश्वास है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि जांच निष्पक्ष, संवेदनशील और संतुलित होनी चाहिए ताकि निर्दोष छात्रों को सामूहिक सजा न दी जाए। किसी समुदाय को पहले से अपराधी मान लेना उचित नहीं है। हर युवा को अपने देश में सुरक्षित महसूस करने का हक है।
चिट्ठी में प्रधानमंत्री से अपील की गई है कि वे सार्वजनिक रूप से यह आश्वासन दें कि कश्मीरी छात्र भी भारत के समान नागरिक हैं और उन्हें वही अधिकार और सुरक्षा मिलेगी जो अन्य नागरिकों को मिलती है। यह आश्वासन छात्रों के परिवारों को सुकून देगा। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि देशभर के कॉलेजों और पुलिस को स्पष्ट निर्देश दिए जाएं कि किसी भी छात्र के साथ भेदभाव या गलत व्यवहार न हो।
जेकेएसए ने कहा कि वे चाहते हैं कि दिल्ली धमाके के असली अपराधियों को जल्द से जल्द पकड़कर सजा दी जाए। उन्होंने सरकार पर विश्वास जताते हुए कहा कि हमें भरोसा है कि जांच निष्पक्ष और समयबद्ध होगी और दोषी बच नहीं पाएंगे।
संगठन ने कहा कि हजारों कश्मीरी छात्र भारत के विभिन्न कॉलेजों में अध्ययन कर रहे हैं और अपने लिए एक दूसरा घर बना चुके हैं। वे देश के हर कोने में दोस्ती, भरोसा और भाईचारे का उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। इसलिए हमें ऐसी घटनाओं के लिए शक की नजर से नहीं देखना चाहिए जिनका हमसे कोई संबंध नहीं है।
पत्र के अंत में जेकेएसए ने देश की एकता, सद्भाव और सांझी संस्कृति पर अपना विश्वास दोहराया। उन्होंने कहा कि राष्ट्र की असली ताकत उसकी सीमाओं में नहीं, बल्कि अपने बच्चों के प्रति सम्मान और विश्वास में होती है।