क्या दिल्ली ब्लास्ट मामले में एनआईए ने जम्मू-कश्मीर में 10 ठिकानों पर छापेमारी की?
सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली ब्लास्ट की जांच तेजी से आगे बढ़ रही है।
- एनआईए ने 10 ठिकानों पर छापेमारी की है।
- गिरफ्तार संदिग्धों से गहन पूछताछ की जा रही है।
- आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है।
- इस हमले में 'व्हाइट कॉलर टेरर नेटवर्क' का हाथ है।
नई दिल्ली, 1 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली के लाल किले के निकट हुए ब्लास्ट मामले की जांच अब और गंभीरता से की जा रही है। सोमवार सुबह, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जम्मू-कश्मीर में 10 स्थानों पर एक व्यापक तलाशी अभियान चलाया। यह छापेमारी पुलवामा, शोपियां और आस-पास के कई क्षेत्रों में की गई, जिसका मुख्य उद्देश्य सबूत जुटाना और ब्लास्ट से जुड़े व्यक्तियों की भूमिका को उजागर करना है।
जांच एजेंसी ने शोपियां में मुफ्ती इरफान अहमद वागे के आवास और पुलवामा में डॉ. अदील अहमद राथर, डॉ. मुअज्जमिल शकील और अमीर राशिद के घरों पर छापे मारे।
सूत्रों के अनुसार, एनआईए डिजिटल सबूत, दस्तावेज और किसी भी प्रकार की आपत्तिजनक सामग्री की तलाश कर रही है।
शनिवार को, दिल्ली की अदालत ने मामले में गिरफ्तार चार आरोपियों की एनआईए हिरासत 10 दिनों के लिए बढ़ा दी। गिरफ्तार चार आरोपियों में डॉ. मुअज्जमिल शकील, डॉ. शहीन सईद, मुफ्ती इरफान अहमद वागे और डॉ. अदील अहमद राथर शामिल हैं।
अदालत से अनुमति मिलने के बाद, सभी आरोपियों को पटियाला हाउस कोर्ट से एनआईए मुख्यालय ले जाया गया, जहां उनसे गहन पूछताछ की जा रही है।
10 नवंबर को, दिल्ली के लाल किले के निकट स्थित रेड फोर्ट मेट्रो स्टेशन के पास एक कार में हुए विस्फोट ने 13 लोगों की जान ले ली और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए।
जांच में यह सामने आया है कि इस हमले को 'व्हाइट कॉलर टेरर नेटवर्क' ने अंजाम दिया, जो जैश-ए-मोहम्मद से संबंधित है।
एनआईए ने अब तक इस मामले में 7 लोगों को गिरफ्तार किया है। ब्लास्ट वाली कार डॉ. उमर मोहम्मद चला रहा था। यह कार आमिर राशिद अली के नाम रजिस्टर्ड है, जो जांच एजेंसी की कस्टडी में है।
आरोपियों में शामिल डॉ. शकील पुलवामा, डॉ. राथर अनंतनाग, वागे शोपियां और डॉ. शाहीन सईद लखनऊ के निवासी हैं। इन लोगों ने हमले को अंजाम देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आरोपी जसीर बिलाल वानी ने आतंकवादी को तकनीकी मदद दी, जबकि शोएब ने कथित तौर पर उमर को पनाह दी और ब्लास्ट से पहले लॉजिस्टिक मदद प्रदान की।
एनआईए की लगातार छापेमारी से स्पष्ट है कि एजेंसी इस पूरे मॉड्यूल को जड़ों तक तोड़ने के लिए तेजी से कदम उठा रही है।