क्या दिल्ली में फर्जी एनसीबी अधिकारी ने गिरफ्तारी का डर दिखाकर 20 लाख रुपए ठगे?

सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली में साइबर ठगी का मामला बढ़ रहा है।
- आरोपियों ने फर्जी पहचान पत्र का इस्तेमाल किया।
- पुलिस ने तकनीकी निगरानी से आरोपियों को गिरफ्तार किया।
- लोगों को अनजान कॉल्स से सावधान रहना चाहिए।
- इस नेटवर्क से जुड़े 473 शिकायतें दर्ज हैं।
नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली के मध्य जिला साइबर पुलिस ने एक बड़े डिजिटल गिरफ्तारी घोटाले का खुलासा करते हुए दिल्ली और उत्तर प्रदेश से पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने एक व्यक्ति से 20 लाख रुपए से अधिक की राशि ठग ली। पुलिस ने आरोपियों के पास से 14 मोबाइल, 40 चेकबुक, 33 सिम कार्ड, 19 डेबिट कार्ड, 14 पैन कार्ड, 7 डिजिटल हस्ताक्षर, एक लग्जरी कार और अन्य सामान जब्त किया।
शिकायतकर्ता ने बताया कि साइबर ठगों ने खुद को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) और पुलिस अधिकारी बताकर उसे डराया। ठगों ने कहा कि उसके आधार कार्ड का उपयोग आपराधिक गतिविधियों में हुआ है और उसे डिजिटल गिरफ्तारी का सामना करना पड़ सकता है।
फर्जी एनसीबी पहचान पत्र दिखाकर एक स्काइप कॉल पर उसे डराया गया। दबाव में आकर उसने अपने बैंक खाते से 89,286 रुपए और बाद में 19.92 लाख रुपए (पर्सनल लोन) फर्जी खाते में ट्रांसफर कर दिए। इस आधार पर मध्य जिला साइबर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और जांच शुरू की।
मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए एसीपी सुलेखा जगरवार और इंस्पेक्टर संदीप पंवार के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया गया। इस टीम ने तकनीकी निगरानी और खुफिया जानकारी के आधार पर दिल्ली, हापुड़ और ग्रेटर नोएडा में छापेमारी की।
पहला आरोपी लोकेश गुप्ता को मुकुंदपुर, दिल्ली से गिरफ्तार किया गया। उसने बताया कि उसने दो फर्जी कंपनियों के नाम पर बैंक खाते खोले। उसकी निशानदेही पर मनोज चौधरी, मोहित जैन, केशव कुमार और सैफ अली को गिरफ्तार किया गया।
पूछताछ में पता चला कि यह एक अखिल भारतीय साइबर ठगी नेटवर्क का हिस्सा था। ठग फर्जी फर्म बनाकर बैंक खाते खोलते थे और ठगी की राशि को कई खातों में बांटकर सफेद करते थे।
राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल पर इस नेटवर्क से जुड़ी 473 शिकायतें दर्ज हैं, जिनमें दिल्ली के 24 मामले शामिल हैं। पुलिस ने लोगों से अनजान कॉल्स और लिंक पर भरोसा न करने की अपील की है। फिलहाल जांच जारी है।