क्या 'उदयपुर फाइल्स' की रिलीज पर दिल्ली हाईकोर्ट ने रोक लगाई?

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क्या 'उदयपुर फाइल्स' की रिलीज पर दिल्ली हाईकोर्ट ने रोक लगाई?

सारांश

दिल्ली हाईकोर्ट ने कन्हैया लाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' की रिलीज पर रोक लगा दी है। न्यायालय ने कहा कि यह मामला केंद्रीय सरकार के निर्णय पर निर्भर करेगा। न्यायालय के आदेश के पीछे की वजह और फिल्म की कहानी में शामिल विवादों पर चर्चा की गई है।

Key Takeaways

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने 'उदयपुर फाइल्स' की रिलीज पर रोक लगाई।
  • फिल्म की कहानी कन्हैया लाल हत्याकांड पर आधारित है।
  • निर्माता ने कहा कि फिल्म किसी समुदाय को लक्षित नहीं करती।
  • सांप्रदायिक वैमनस्य के पहलू पर भी ध्यान दिया गया है।

नई दिल्ली, 10 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। कन्हैया लाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' की रिलीज पर दिल्ली हाई कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है। न्यायालय ने कहा है कि जब तक सरकार कोई निर्णय नहीं लेगी, तब तक फिल्म का प्रदर्शन नहीं किया जाएगा।

जस्टिस ने कहा कि याचिकाकर्ता को इस एक्ट के सेक्शन-6 के तहत केंद्र सरकार के पास आवेदन करना चाहिए। केंद्र सरकार को इस सेक्शन के तहत फिल्म की रिलीज रोकने का अधिकार प्राप्त है। अदालत ने जमीयत को दो दिन का समय दिया है ताकि वे सरकार के पास आवेदन कर सकें। साथ ही, अगर केंद्र सरकार को आवेदन प्राप्त होता है तो वह एक सप्ताह में निर्णय लेगी।

गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई जिसमें फिल्म की रिलीज पर चर्चा हुई। फिल्म के निर्माता के वकील ने कहा कि नूपुर शर्मा का बयान हटाया गया है और उनके पास कन्हैया लाल हत्याकांड पर एनआईए की चार्जशीट है, जिसमें इसी बात का उल्लेख है। कोर्ट ने कहा कि आप किसी भी जानकारी के आधार पर फिल्म की कहानी को सही नहीं ठहरा सकते हैं।

फिल्म निर्माता के वकील ने कहा कि फिल्म की कहानी भारत-पाकिस्तान के संबंधों पर आधारित है और सभी मुसलमानों को नकारात्मक रूप में दिखाना गलत है। 55 कट इस बात का प्रमाण हैं कि सांप्रदायिक वैमनस्य पर ध्यान दिया गया है। शुक्रवार के लिए 1,800 थिएटर बुक हैं और लगभग एक लाख टिकट बिक चुके हैं।

वहीं, सीबीएफसी के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि फिल्म किसी समुदाय विशेष पर नहीं, बल्कि अपराध विशेष पर आधारित है। फिल्म में यह संदेश है कि हमें मिलकर रहना चाहिए। अगर किसी को आपत्ति है तो वह अपनी बात रख सकता है।

चेतन शर्मा ने बताया कि सीबीएफसी को इस बात की जानकारी है कि किसी समुदाय को लक्षित नहीं करना चाहिए। फिल्म का विषय कोई समुदाय नहीं, बल्कि अपराध है। देवबंद का संदर्भ बदल दिया गया है और नूपुर शर्मा या ज्ञानवापी का संदर्भ हटा दिया गया है।

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अदालत में अपनी दलील रखते हुए कहा कि हमने फिल्म देखी है और यह एक समुदाय को बदनाम करने का प्रयास है। फिल्म हिंसा और नफरत से भरी है।

सिब्बल ने कहा कि फिल्म में एक विशेष वर्ग को ऐसी स्थिति में दिखाया गया है जैसे वह समाज की बुराइयों का प्रतिनिधित्व करता हो। यह फिल्म एक ऐसे दृश्य से शुरू होती है जिसमें एक वर्ग विशेष का व्यक्ति दूसरे वर्ग की जगह मांस का टुकड़ा फेंकता है।

Point of View

हमें यह समझना जरूरी है कि फिल्में समाज में विचारों और भावनाओं को प्रभावित कर सकती हैं। 'उदयपुर फाइल्स' का विषय संवेदनशील है और इसके कंटेंट पर विवाद होना स्वाभाविक है। न्यायालय का निर्णय इस बात की दिशा में एक आवश्यक कदम है कि कोई भी फिल्म एक समुदाय को लक्षित नहीं कर सकती।
NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

दिल्ली हाईकोर्ट ने फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' की रिलीज पर क्यों रोक लगाई?
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि जब तक केंद्र सरकार कोई निर्णय नहीं लेगी, तब तक फिल्म की रिलीज पर रोक रहेगी।
फिल्म के निर्माता का कहना क्या है?
फिल्म के निर्माता का कहना है कि फिल्म की कहानी किसी समुदाय विशेष पर नहीं, बल्कि अपराध पर आधारित है।
क्या फिल्म में सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा दिया गया है?
फिल्म के खिलाफ यह आरोप लगाए जा रहे हैं कि इसमें एक विशेष समुदाय को नकारात्मक रूप में दिखाया गया है।