क्या दिल्ली प्रदूषण के चलते कार्यालयों में आधे कर्मचारी ही आएंगे?
सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली में कार्यालयों में आधे कर्मचारियों की उपस्थिति अनिवार्य है।
- वर्क फ्रॉम होम को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- वाहनों की आवाजाही को कम करना महत्वपूर्ण है।
- प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं।
- एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 के पार पहुंच चुका है।
नई दिल्ली, 17 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली और आस-पास के क्षेत्रों में हवा की गुणवत्ता लगातार खराब बनी हुई है। इस स्थिति के कारण, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए हैं। आयोग के अनुसार, पहले चरण चार में आने वाले कुछ उपायों को अब चरण तीन में ही लागू किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य प्रदूषण को बढ़ने से रोकना है।
इन परिवर्तनों में सबसे महत्वपूर्ण यह है कि अब चरण तीन लागू होने पर ही सार्वजनिक नगरपालिका और निजी कार्यालयों में आधे कर्मचारियों के साथ काम करने की व्यवस्था की जा सकती है। पहले यह उपाय चरण चार में था। लेकिन अब इसे पहले लाकर प्रदूषण पर जल्दी काबू पाने की कोशिश की जा रही है।
वजह स्पष्ट है कि वाहनों से निकलने वाला धुआं हवा को बहुत प्रदूषित करता है। खासकर जब प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा हो। वाहनों की अधिक आवाजाही से हानिकारक कण हवा में फैलते हैं, जिससे लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए वाहनों की संख्या कम करने के लिए कार्यालयों की जगह वर्क फ्रॉम होम को बढ़ावा दिया जा रहा है।
इसी संदर्भ में दिल्ली सरकार ने आदेश जारी किया है। इस आदेश के तहत दिल्ली में सभी निजी कार्यालयों में कार्यस्थल पर आधे से ज्यादा कर्मचारी मौजूद नहीं रह सकते हैं। अन्य कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से घर से काम करना होगा। इससे न केवल वाहनों की संख्या कम होगी, बल्कि ट्रैफिक जाम और धुएं का प्रभाव भी घटेगा।
सरकार ने निजी संस्थाओं से अपील की है कि वे जहाँ संभव हो काम के घंटे अलग-अलग रखें, घर से काम के नियमों का सख्ती से पालन कराएं और कार्यालय आने-जाने वाली गाड़ियों की आवाजाही को न्यूनतम करें।
यह भी ध्यान देने योग्य है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में पिछले कुछ दिनों से चल रही तेज सर्द हवाओं के कारण वायु प्रदूषण में हल्की गिरावट जरूर देखी गई है, लेकिन हालात अभी भी चिंताजनक बने हुए हैं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) और यूपीपीसीबी (यूपीपीसीबी) के विभिन्न एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशनों से मिले आंकड़ों के अनुसार दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद के अधिकांश क्षेत्रों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 300 के पार दर्ज किया गया है, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आता है।