क्या दिल्ली में स्कूल फीस नियंत्रण कानून लागू होने से अभिभावकों को राहत मिलेगी?
सारांश
Key Takeaways
- स्कूल फीस नियंत्रण कानून लागू हुआ है।
- अभिभावकों की भागीदारी अनिवार्य होगी।
- फीस वृद्धि पर रोक लगेगी।
- शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ेगी।
- सरकार नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करेगी।
नई दिल्ली, 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने शुक्रवार को यह घोषणा की कि दिल्ली स्कूल शिक्षा (शुल्क निर्धारण एवं विनियमन में पारदर्शिता) अधिनियम–2025 और इसके अंतर्गत नियम तुरंत प्रभाव से लागू हो गए हैं। शिक्षा विभाग अब स्कूलों से फीस प्रस्तावों की जांच, अनुमतियां, रिपोर्टिंग और निगरानी के सभी आवश्यक प्रक्रियाओं को लागू करना शुरू करेगा।
सूद ने बताया कि पिछले शासन ने इस महत्वपूर्ण मुद्दे को 27 वर्षों तक नजरअंदाज किया, जबकि वर्तमान सरकार ने कुछ ही दिनों में यह ऐतिहासिक सुधार लागू किया। उनका कहना है कि इतने कम समय में एक मजबूत और पारदर्शी कानून लागू करना दिल्ली प्रशासन की दक्षता और सुशासन का प्रमाण है।
उन्होंने कहा, “शिक्षा एक व्यवसाय नहीं, बल्कि एक अधिकार है” और सरकार हर बच्चे को ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के प्रति प्रतिबद्ध है। उनके अनुसार, यह कानून न केवल अभिभावकों की चिंताओं का समाधान करेगा, बल्कि शिक्षा प्रणाली में जनता का विश्वास भी बढ़ाएगा।
सूद ने अभिभावकों से अपील की कि वे इस नए कानून को सफल बनाने और पारदर्शिता बनाए रखने में सहयोग करें।
यह अधिनियम निजी स्कूलों द्वारा मनमाने तरीके से की जाने वाली फीस वृद्धि को रोकने, अभिभावकों को सशक्त बनाने और शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लागू किया गया है। सरकार का लक्ष्य यह है कि किसी भी अनुचित और अचानक फीस वृद्धि पर रोक लगे।
इसमें फीस निर्धारण की प्रक्रिया में अभिभावकों की अनिवार्य भागीदारी, स्कूलों द्वारा वित्तीय विवरण और फीस संरचना का सार्वजनिक खुलासा, मजबूत शिकायत निवारण तंत्र, अवैध फीस वृद्धि पर त्वरित कार्रवाई, और फीस वृद्धि से पहले विस्तृत प्रक्रिया और सरकार की पूर्व स्वीकृति आवश्यक होने जैसी प्रमुख बातें शामिल हैं।
सूद ने कहा कि इस कानून के लागू होने से अभिभावकों की वर्षों पुरानी समस्याओं का समाधान होगा और स्कूलों की निगरानी मजबूत होगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार नियमों के कड़े पालन को सुनिश्चित करेगी ताकि शिक्षा प्रणाली में विश्वास और पारदर्शिता और मजबूत हो सके।