क्या दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके लगातार दूसरे दिन महसूस किए गए?

सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटकों की आवृत्ति बढ़ रही है।
- भूकंप का केंद्र हरियाणा के झज्जर में है।
- तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.7 थी।
- सुरक्षा उपायों की जानकारी आवश्यक है।
- भूकंप की घटनाओं का वैज्ञानिक अध्ययन करना महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली, ११ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली-एनसीआर में शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन भूकंप के झटके अनुभव किए गए। राष्ट्रीय राजधानी और इसके आस-पास के क्षेत्रों में अचानक धरती हिलने लगी, जिसके कारण लोग अपने घरों और कार्यालयों से बाहर निकलकर खुली जगह पर आ गए। हालांकि, किसी प्रकार की क्षति की कोई सूचना नहीं आई है।
नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के अनुसार, भूकंप का केंद्र हरियाणा के झज्जर में था। भूकंप के झटके शुक्रवार को शाम ७.४९ बजे महसूस किए गए, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर ३.७ मापी गई। इसकी गहराई जमीन से १० किमी नीचे थी। इससे पहले गुरुवार की सुबह भी दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके आए थे, जिसका केंद्र भी झज्जर था।
दिल्ली-एनसीआर में गुरुवार सुबह दो बार भूकंप के मध्यम झटके महसूस किए गए थे, जिनकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर ४.४ और ३.० दर्ज की गई। भूकंप का केंद्र झज्जर शहर से १० किलोमीटर उत्तर में था, जिसकी गहराई जमीन से १० किमी नीचे मापी गई थी।
बता दें कि इससे पहले दिल्ली और पूरे एनसीआर में १७ फरवरी को तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। भूकंप के झटके इतने तेज थे कि जो लोग सो रहे थे, उनकी नींद टूट गई, और जो जाग रहे थे, वे दहशत में आ गए। भूकंप का केंद्र नई दिल्ली था और इसकी गहराई जमीन से ५ किलोमीटर नीचे थी, जिससे झटके अधिक तेज महसूस किए गए।
भूकंप वैज्ञानिकों के अनुसार, हमारी धरती की सतह मुख्य रूप से सात बड़ी और कई छोटी टेक्टोनिक प्लेट्स से बनी है। ये प्लेट्स लगातार हरकत करती रहती हैं और अक्सर आपस में टकराती हैं। इस टक्कर के परिणामस्वरूप प्लेट्स के कोने मुड़ सकते हैं और अत्यधिक दबाव के कारण वे टूट भी सकते हैं। ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर फैलने का रास्ता खोजती है और यही ऊर्जा जब जमीन के अंदर से बाहर आती है, तो भूकंप आता है।