क्या दिल्ली में निजी स्कूल फीस निर्धारण में पारदर्शिता की नई व्यवस्था लागू हुई?

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क्या दिल्ली में निजी स्कूल फीस निर्धारण में पारदर्शिता की नई व्यवस्था लागू हुई?

सारांश

दिल्ली सरकार ने निजी स्कूलों की फीस निर्धारण प्रक्रिया को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने नए कानून को लागू करते हुए अभिभावकों के हितों की सुरक्षा के साथ-साथ शिक्षा प्रणाली में सुधार की बात की है।

Key Takeaways

  • दिल्ली सरकार ने फीस निर्धारण प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए कानून लागू किया है।
  • एसएलएफआरसी और डीएलएफआरसी का गठन अनिवार्य होगा।
  • अभिभावकों के हितों की रक्षा के लिए यह कानून बनाया गया है।
  • समिति का गठन लॉटरी प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा।
  • फीस विवादों का निपटारा अब संस्थागत रूप से होगा।

नई दिल्ली, 24 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली सरकार ने निजी स्कूलों की फीस निर्धारण प्रक्रिया को पारदर्शी, जवाबदेह और समयबद्ध बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने बताया कि ‘दिल्ली स्कूल एजुकेशन (ट्रांसपेरेंसी इन फिक्सेशन एंड रेगुलेशन ऑफ फीस) एक्ट, 2025’ और इसके अंतर्गत बनाए गए नियम 2025-26 के शैक्षणिक सत्र से लागू किए जाएंगे।

इस कानून के कार्यान्वयन हेतु स्कूल स्तर और जिला स्तर पर दो महत्वपूर्ण समितियों, स्कूल लेवल फीस रेगुलेशन कमेटी (एसएलएफआरसी) और डिस्ट्रिक्ट लेवल फीस अपीलेट कमेटी (डीएलएफआरसी) का गठन अनिवार्य किया गया है।

शिक्षा मंत्री ने प्रेस वार्ता में बताया कि यह कानून वर्ष 1973 से लागू दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट को पूरक बनाते हुए तैयार किया गया है, जिससे निजी स्कूलों की फीस निर्धारण प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके और अभिभावकों के हितों की रक्षा हो सके।

उन्होंने बताया कि यह कानून प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शिक्षा मिशन और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में व्यापक विचार-विमर्श के बाद लागू किया गया है। हर निजी स्कूल में एसएलएफआरसी का गठन 10 जनवरी 2026 तक अनिवार्य होगा। इस समिति में स्कूल प्रबंधन का अध्यक्ष, प्रधानाचार्य, तीन शिक्षक, पांच अभिभावक और शिक्षा निदेशालय का एक प्रतिनिधि शामिल होगा। समिति का गठन लॉटरी प्रक्रिया से किया जाएगा, जिसमें पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए पर्यवेक्षक की नियुक्ति भी की गई है।

एसएलएफआरसी का मुख्य कार्य स्कूल द्वारा प्रस्तावित फीस संरचना की जांच करना और 30 दिनों के भीतर उस पर निर्णय लेना होगा। पहले जहाँ स्कूलों को फीस प्रस्ताव एक अप्रैल तक प्रस्तुत करने की व्यवस्था थी, वहीं अब नए कानून के तहत 25 जनवरी 2026 तक फीस प्रस्ताव एसएलएफआरसी के समक्ष प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। यदि समिति निर्धारित समय में निर्णय नहीं लेती है, तो मामला स्वतः जिला स्तर की अपीलीय समिति डीएलएफआरसी के पास जाएगा।

डीएलएफआरसी को फीस से संबंधित विवादों के निपटारे और अपीलों पर निर्णय का अधिकार दिया गया है, जिससे अभिभावकों को एक संस्थागत और निष्पक्ष मंच उपलब्ध होगा। शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह व्यवस्था इसलिए बनाई गई है ताकि किसी भी स्तर पर मनमानी की गुंजाइश न रहे और हर निर्णय नियमों के अनुसार हो।

आशीष सूद ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार निजी और सरकारी स्कूलों के बीच टकराव की राजनीति नहीं करती, बल्कि समाधान की नीति पर काम कर रही है। दिल्ली में लगभग 37-38 लाख बच्चे शिक्षा ले रहे हैं और हर बच्चा समान रूप से महत्वपूर्ण है। यह कानून न तो स्कूलों के खिलाफ है और न ही शिक्षकों के विरुद्ध, बल्कि इसका उद्देश्य एक संतुलित, पारदर्शी और भरोसेमंद प्रणाली विकसित करना है।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि नए कानून और समितियों के गठन से फीस निर्धारण से संबंधित वर्षों से उठते सवालों का स्थायी समाधान निकलेगा। सरकार का संकल्प है कि अभिभावकों का शोषण किसी भी सूरत में नहीं होने दिया जाएगा और स्कूलों को भी नियमबद्ध ढंग से संचालन का स्पष्ट मार्ग मिलेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि एसएलएफआरसी और डीएलएफआरसी के गठन के साथ दिल्ली में स्कूल फीस व्यवस्था एक नए युग में प्रवेश कर रही है, जहाँ पारदर्शिता, सहभागिता और समयबद्ध निर्णय प्रक्रिया को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि दिल्ली सरकार का यह कदम शिक्षा क्षेत्र में आवश्यक सुधार लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने से अभिभावकों की चिंताओं का समाधान होगा और विद्यालयों की फीस निर्धारण प्रक्रिया में अनुशासन स्थापित होगा।
NationPress
24/12/2025

Frequently Asked Questions

इस कानून का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इस कानून का मुख्य उद्देश्य निजी स्कूलों की फीस निर्धारण प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना है।
क्या सभी निजी स्कूलों के लिए यह कानून लागू होगा?
हाँ, यह कानून सभी निजी स्कूलों पर लागू होगा और 10 जनवरी 2026 तक एसएलएफआरसी का गठन अनिवार्य होगा।
एसएलएफआरसी और डीएलएफआरसी क्या हैं?
एसएलएफआरसी स्कूल स्तर की समिति है, जबकि डीएलएफआरसी जिला स्तर की अपीलीय समिति है, जो फीस विवादों का निपटारा करती है।
क्या अभिभावकों को इस कानून से कोई लाभ होगा?
जी हाँ, इस कानून से अभिभावकों को फीस निर्धारण प्रक्रिया में एक निष्पक्ष और संस्थागत मंच मिलेगा।
क्या इस कानून से फीस में वृद्धि रोकी जाएगी?
यह कानून फीस में वृद्धि को नियंत्रित करने में मदद करेगा और पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा।
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