क्या झारखंड के हजारीबाग में साइबर क्रिमिनल गिरोह का पर्दाफाश हुआ?
सारांश
Key Takeaways
- साइबर ठगी एक गंभीर अपराध है।
- पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की है।
- संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्टिंग महत्वपूर्ण है।
- लोगों को सावधान रहने की आवश्यकता है।
- साइबर हेल्पलाइन का उपयोग करें।
हजारीबाग, २४ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के हजारीबाग जिले की पुलिस ने साइबर क्रिमिनल के एक बड़े गिरोह का खुलासा किया है। विनोबा भावे नगर में बुधवार को की गई छापेमारी के दौरान गिरोह के कुल नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इन पर आरोप है कि ये लोग फर्जी संस्थाओं के माध्यम से मुद्रा लोन दिलाने का झांसा देकर लोगों से ऑनलाइन ठगी कर रहे थे। गिरफ्तार किए गए ठगों में से छह तेलंगाना राज्य के निवासी हैं।
पुलिस अधीक्षक अंजनी अंजन ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी अमित कुमार के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया था। इस टीम ने तकनीकी साक्ष्यों और गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी कर आरोपियों को पकड़ने में सफलता प्राप्त की।
पुलिस ने आरोपियों के पास से एक चार पहिया वाहन, 27 मोबाइल फोन, बड़ी संख्या में सिम कार्ड, रजिस्टर, पहचान से जुड़े दस्तावेज और अन्य आपत्तिजनक सामग्री बरामद की है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि आरोपी विभिन्न सिम कार्ड और मोबाइल फोन का उपयोग कर लोगों को धोखा देते थे और लोन स्वीकृत कराने के नाम पर प्रोसेसिंग फीस, रजिस्ट्रेशन चार्ज और अन्य मदों में पैसे लेते थे।
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान शिवानंद सिंह, नानावत महेश, सचिन कुमार, बनावत पवन, अखिल राठौर, कोडावत सचिन, सारंगी विष्णु, नाका शिवा और फरियादी अंसारी के रूप में हुई है। पुलिस के अनुसार ये सभी आरोपी दूसरे राज्यों के निवासी हैं और हजारीबाग में ठिकाना बनाकर लंबे समय से साइबर ठगी की गतिविधियों में संलग्न थे।
अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सदर अमित आनंद ने बताया कि इस मामले में कोर्रा थाना में संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर गिरोह के अन्य सदस्यों और इनके नेटवर्क से जुड़े खातों व लेनदेन की जानकारी जुटा रही है। इसके साथ ही यह भी पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि अब तक कितने लोगों को इस गिरोह ने अपना शिकार बनाया है।
पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि किसी भी प्रकार के लोन या सरकारी योजना के नाम पर फोन कॉल, लिंक या दस्तावेजों के झांसे में न आएं। संदिग्ध गतिविधियों की सूचना तुरंत पुलिस या साइबर हेल्पलाइन पर दें।