क्या दिल्ली पुलिस ने 1.6 करोड़ रुपए के स्टॉक मार्केट फ्रॉड का पर्दाफाश किया है?
सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली पुलिस ने 1.6 करोड़ रुपए के स्टॉक मार्केट धोखाधड़ी रैकेट का पर्दाफाश किया।
- तीन मुख्य आरोपी गिरफ्तार हुए हैं।
- नकली कंपनियों के माध्यम से धोखाधड़ी की गई थी।
- पुलिस ने ठगी के पैसे की पहचान की है और बरामदगी की दिशा में काम कर रही है।
- सभी नागरिकों को सतर्क रहने की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, 24 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच साइबर सेल ने एक विशाल स्टॉक मार्केट निवेश धोखाधड़ी रैकेट का खुलासा किया है। इस गिरोह ने नकली प्री-आईपीओ योजनाएं, फर्जी फॉरेक्स ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म और उच्च लाभ के लालच में लोगों से लगभग डेढ़ करोड़ रुपए से अधिक की ठगी की। पुलिस ने इस मामले में तीन प्रमुख आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से दो नकली कंपनियों के संचालक हैं।
इस पूरे मामले की शुरुआत एक पीड़िता की शिकायत से हुई, जिसने सोशल मीडिया पर एक महिला द्वारा यूके के कथित ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म 'स्प्रेडेक्स ग्लोबल लिमिटेड' में निवेश का प्रलोभन दिया गया। पीड़िता ने कुल 1.6 करोड़ रुपए गंवा दिए। जब उसने मुनाफा निकालने का प्रयास किया, तब उसका खाता ब्लॉक कर दिया गया। जांच में यह पता चला कि धोखाधड़ी की राशि दो फर्जी कंपनियों के खातों में जा रही थी। इन कंपनियों के नाम जीटीआर इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड (पूर्वी दिल्ली के शकरपुर में फर्जी कार्यालय) और उद्यम विमेन एम्पावरमेंट फाउंडेशन (महाराष्ट्र से संचालित) हैं।
इन दोनों कंपनियों के खिलाफ नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर कुल 58 शिकायतें दर्ज की गई थीं, जिनमें 1.10 करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी का खुलासा हुआ। जीटीआर इलेक्ट्रॉनिक्स से 88.40 लाख रुपए और विमेन एम्पावरमेंट फाउंडेशन से 22 लाख रुपए की राशि की पहचान की गई है।
पुलिस ने ठाणे और दिल्ली में एक साथ छापेमारी की। इस दौरान सुनील कुमार (आगरा, उत्तर प्रदेश), जीटीआर इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड का डायरेक्टर, विशाल चौरे और उनकी पत्नी (डोंबिवली, ठाणे), उद्यम विमेन एम्पावरमेंट फाउंडेशन के संचालक की गिरफ्तारी हुई।
पूछताछ में सुनील कुमार ने स्वीकार किया कि उसने अपने साथियों के साथ मिलकर कंपनी रजिस्टर की, शकरपुर में किराए का ऑफिस लिया, और केवल धोखाधड़ी की रकम को लॉन्ड्रिंग करने के लिए बैंक खाता खोला था। विशाल चौरे दंपति फर्जी एनजीओ के नाम पर खाता चलाकर पैसे स्वीकारते थे।
डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (क्राइम) आदित्य गौतम ने बताया, "यह एक मल्टी-लेयर धोखाधड़ी थी। आरोपी वास्तविक लगने वाली वेबसाइट, फर्जी दस्तावेज और सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को धोखा देते थे। टीम ने डिजिटल और फाइनेंशियल ट्रेल्स का गहन विश्लेषण कर तीनों को पकड़ा।"
पुलिस ने आरोपियों के मोबाइल, लैपटॉप, फर्जी दस्तावेज और बैंक खातों को जब्त कर लिया है। सिंडिकेट के शेष सदस्यों की तलाश और ठगे गए पैसे की वसूली के लिए जांच जारी है।