क्या देश के मानव जीवन सूचकांक को सुधारने के लिए जीडीपी ग्रोथ आवश्यक है?: जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार
सारांश
Key Takeaways
- नीरज कुमार का बयान मोदी के आर्थिक बदलाव पर समर्थन है।
- जीडीपी ग्रोथ मानव जीवन सूचकांक को सुधारने में मददगार होगी।
- विपक्ष की राजनीति पर टिप्पणी की गई।
पटना, 19 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। जनता दल (यूनाइटेड) के प्रवक्ता नीरज कुमार ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस हालिया बयान का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने भारत के आर्थिक डीएनए में बदलाव की बात कही थी।
जदयू प्रवक्ता ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "नवउदारवाद की नीतियों के परिणामस्वरूप देश वैश्विक चुनौतियों का सामना कर रहा है। इस स्थिति में भारत जैसे जनसंख्या घनत्व वाले देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना एक बड़ी चुनौती है। वर्तमान में भारत पीएम मोदी के नेतृत्व में पूरी दुनिया में तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दौड़ में है। अगर हमें देश के मानव जीवन सूचकांक को संयुक्त राष्ट्र के मानकों के अनुसार बेहतर करना है, तो यह एक महत्वपूर्ण कदम है।"
उन्होंने विकसित भारत जी-राम जी योजना के नाम को लेकर चल रहे विवाद पर कहा, "विपक्ष का हंगामा करना राजनीतिक दायित्व है, लेकिन मुख्य बात यह है कि उनके नेतृत्वकर्ता (राहुल गांधी) स्वयं लापता हैं। वे विदेश यात्रा पर हैं। मनरेगा का नाम बदलकर जी-राम जी योजना रखा गया है, लेकिन विपक्ष इस बात को मानने को तैयार नहीं है कि पहले 100 दिन के रोजगार की गारंटी थी, जिसे अब बढ़ाकर 125 दिन कर दिया गया है।"
उन्होंने आगे कहा, "महात्मा गांधी की भूमिका को कौन नकार सकता है? गांधीजी से बड़ा रामभक्त कौन है? जब उन पर गोलियों की बौछार हो रही थी, तो उनके मुंह से 'हे राम' निकला। यदि विपक्ष महात्मा गांधी के व्यक्तित्व पर राजनीतिक एजेंडा निर्धारित कर रहा है, तो गांधी से बड़ा कोई रामभक्त नहीं हो सकता।"
जदयू प्रवक्ता ने टीएमसी विधायक मदन मित्रा द्वारा भगवान राम पर की गई टिप्पणी को लेकर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, "यह बहुत ही गंभीर बात है। उन्हें स्वामी विवेकानंद के जीवन के बारे में पढ़ना चाहिए, जिनका बंगाल से गहरा संबंध था। विवेकानंद ने स्पष्ट कहा है कि देश में धर्मांतरण सामाजिक-आर्थिक कारणों से हुआ है, न कि तलवार की धार पर। इसलिए जो स्वामी विवेकानंद को नहीं मानता, बल्कि ममता बनर्जी को अपना रहा है, यह उसका दुर्भाग्य है।"