क्या देशहित में 'जी राम जी' योजना के तहत मजदूरों को 100 की बजाय 125 दिनों का रोजगार मिलेगा?
सारांश
Key Takeaways
- 125 दिन रोजगार का लाभ होगा।
- मोदी सरकार का प्रयास गरीबों के लिए है।
- विपक्ष का विरोध और शोर मचाना।
नई दिल्ली, 18 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। एनडीए के सांसदों ने लोकसभा में 'विकसित भारत-जी राम जी' बिल के पारित होने पर अपनी खुशी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पहले 100 दिन रोजगार मिलता था, अब 125 दिन रोजगार उपलब्ध होगा। प्रधान मंत्री मोदी लगातार देश के हित में कार्य कर रहे हैं।
केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "मैं मोदी सरकार को बधाई देता हूं क्योंकि गरीबों को, जिन्हें पहले साल में 100 दिन का रोजगार मिलता था, अब 125 दिन रोजगार मिलेगा। इसके बावजूद, विपक्ष इसका विरोध कर रहा है और नागरिकों को भ्रमित कर रहा है। उन्हें इससे कोई मतलब नहीं है कि मजदूरों को अधिक दिन काम मिलेगा।"
उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष ने हमेशा बिल का विरोध किया है और गरीबों के खिलाफ है, बस जनता को बेवकूफ बनाने के लिए गलत अफवाहें फैला रहा है। एक समय में इंदिरा गांधी ने भी कहा था कि देश से गरीबी हटाओ, लेकिन ये लोग गरीबों को ही हटा रहे हैं। प्रधान मंत्री नरेंद्र के नेतृत्व में देश लगातार आगे बढ़ रहा है, जिससे विपक्ष परेशान है और विरोध कर रहा है।
भाजपा सांसद योगेंद्र चंदोलिया ने कहा, "केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान को बधाई और शुभकामनाएं। यूपीए सरकार के कार्यकाल में जी राम जी बिल पर क्या किया गया, इसका उन्होंने विस्तार से उल्लेख किया। अगर विपक्ष में हिम्मत होती, तो उन्हें शिवराज सिंह चौहान का जवाब सुनना चाहिए था, लेकिन उन्होंने केवल शोर मचाया। शोर मचाने से कुछ हासिल नहीं होगा।"
उन्होंने कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गरीबों के लिए लगातार काम हो रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं है। विपक्ष कह रहा था कि हम इस पर चर्चा करना चाहते हैं, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया और केवल बिल फाड़ने का काम किया। इससे उनकी सोच प्रकट होती है।
भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा, "मैं प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करता हूं। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए रोजगार और आजीविका मिशन की गारंटी विकसित भारत के लिए एक महत्वपूर्ण बिल है।"
भाजपा सांसद अरुण गोविल ने कहा, "विपक्ष ने बहुत हंगामा किया। जिस तरह से वे टेबल पर चढ़ गए और खड़े हो गए, वह शर्मनाक था। विपक्ष ने पहले चर्चा के लिए कहा था, लेकिन जब चर्चा की बात आई, तो उन्होंने बिल को फाड़ दिया। ऐसा नहीं करना चाहिए था।"