क्या देव उठनी एकादशी पर भक्तों ने पवित्र नदियों में स्नान किया? पंचुका महोत्सव का आगाज़
सारांश
Key Takeaways
- देवउठनी एकादशी का पर्व धार्मिक आस्था का प्रतीक है।
- भक्तजन पवित्र स्नान कर आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं।
- सोलापुर और पुरी में विशेष आयोजन हो रहे हैं।
प्रयागराज, 2 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। देवउठनी एकादशी रविवार को देश के कई राज्यों में धूमधाम से मनाई जा रही है। एकादशी का शुभ मुहूर्त 1 नवंबर को सुबह 9 बजकर 11 मिनट पर प्रारंभ हुआ था और समापन 2 नवंबर को सुबह 7 बजकर 31 मिनट पर हुआ।
उदया तिथि के अनुसार रविवार को भी एकादशी का यह पावन पर्व मनाया जा रहा है। प्रयागराज, सोलापुर और ओडिशा के पुरी में भक्तजन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर अपने आराध्य भगवान विष्णु की पूजा कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में यमुना घाट पर श्रद्धालु स्नान कर पवित्र होकर मां तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह संपन्न करा रहे हैं। शनिवार को भी प्रयागराज में मां तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह किया गया था, और आज एकादशी मनाने वाले श्रद्धालु भी तुलसी शालिग्राम विवाह करा रहे हैं।
प्रयागराज के घाट पर मौजूद एक पुजारी ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "यमुना घाट पर भारी भीड़ रविवार के पवित्र स्नान के कारण है, ऐसा माना जाता है कि इससे आशीर्वाद मिलता है और कार्तिक माह का पूरा पुण्य प्राप्त होता है। रविवार को यमुना स्नान करने का महत्व ज्यादा है।"
घाट पर मौजूद श्रद्धालु ने बताया कि आज एकादशी तिथि जारी है, इसलिए व्रत और पवित्र स्नान किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, "हम शांति, समृद्धि और सभी के कल्याण की प्रार्थना करते हैं, राष्ट्र की प्रगति और सनातन धर्म की शाश्वत रक्षा की कामना करते हैं।"
वहीं महाराष्ट्र के सोलापुर में कार्तिक एकादशी का महत्व बहुत ज्यादा है। सुबह की शुरुआत के साथ ही लाखों श्रद्धालु पवित्र चंद्रभागा नदी में स्नान कर रहे हैं और पंढरपुर मंदिर में भगवान विट्ठल और माता रुक्मिणी के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। आज के दिन पंढरपुर मंदिर में विशेष आयोजन होता है और रात भर चंद्रभागा नदी के तट पर भजन कीर्तन होता है। आज पूरे दिन मंदिर के द्वार भक्तों के लिए खुले रहेंगे।
ओडिशा के पुरी में भी एकादशी के साथ पंचुका महोत्सव का आगाज हो चुका है। पांच दिन तक चलने वाले इस पर्व को देखते हुए जगन्नाथ मंदिर में विशेष व्यवस्था की गई है। भक्त पवित्र नदी में स्नान कर जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं। माना जाता है कि अमावस्या तक पांच दिन तक लगातार स्नान करने से सारे पापों का नाश होता है। पंचुका महोत्सव चांद की स्थिति के आधार पर मनाया जाता है और कई बार केवल चार दिन का भी होता है।