क्या देवाधिदेव महादेव का वो रहस्यमय मंदिर भूतों ने एक रात में बनाया?
सारांश
Key Takeaways
- मंदिर का निर्माण 11वीं सदी में हुआ।
- भूतों द्वारा एक रात में मंदिर बनाने की मान्यता है।
- यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
- मंदिर की ऊँचाई 115 फुट है।
- स्थानीय इतिहास और कहानियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
मुरैना, 14 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत में अनेकों प्राचीन मंदिर हैं, जिनका निर्माण हजारों साल पहले हुआ था। इन मंदिरों में से कुछ इतने प्राचीन होने के बावजूद आज भी अपनी दीवारों की मजबूती के लिए मशहूर हैं। ये मंदिर न केवल इतिहास में बल्कि वास्तुकला में भी लोगों को बहुत आकर्षित करते हैं। लेकिन, कुछ मंदिर ऐसे भी हैं, जिनसे रहस्य या भूतों की कहानियां जुड़ी हुई हैं।
ऐसा ही एक मंदिर मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के सिहोनिया कस्बे में स्थित है।
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसकी ऊंचाई जमीन से लगभग 115 फुट है। मंदिर थोड़ी खंडहर की स्थिति में है, लेकिन यहाँ आने पर आपको शिवलिंग और कई टूटे-फूटे अवशेष दिखाई देंगे।
मंदिर तक पहुँचने के लिए कुछ सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं और रास्ते में दोनों तरफ कई खंभे देखे जा सकते हैं। मंदिर में मौजूद मूर्तियाँ बहुत पुरानी हैं, जिनमें से कुछ टूट चुकी हैं, जिन्हें माना जाता है कि पहले के शासकों ने नुकसान पहुँचाया था। कई अवशेष आज ग्वालियर के म्यूजियम में रखे हुए हैं।
इतिहास के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण 11वीं सदी में कछवाहा वंश के राजा कीर्ति राज ने करवाया था। कहा जाता है कि रानी ककनावती भगवान शिव की बहुत बड़ी भक्त थीं, इसलिए मंदिर का नाम उनके नाम पर रखा गया। मौसम और समय के प्रभाव से कुछ हिस्से नष्ट हो गए हैं, लेकिन इसके बावजूद लोग भगवान शिव के दर्शन करने आते रहते हैं।
सबसे दिलचस्प बात यह है कि स्थानीय लोगों की मान्यता के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण एक रात में भूतों ने किया था।
माना जाता है कि भूतों ने एक साथ मिलकर मंदिर बनाना शुरू किया और जैसे ही सुबह हुई, उन्हें निर्माण बीच में ही छोड़ना पड़ा। यही वजह है कि यह मंदिर आज भी अधूरा सा दिखाई देता है। इसे भूतों का मंदिर भी कहा जाता है। हालांकि, इस कहानी की कोई ठोस पुष्टि नहीं है, फिर भी यह रहस्य इसे और भी रोचक बनाता है।