क्या देवउठनी एकादशी पर लाखों श्रद्धालु पंचकोशी परिक्रमा के लिए पहुंचे?
सारांश
Key Takeaways
- देवउठनी एकादशी का पर्व धार्मिक आस्था का प्रतीक है।
- लाखों श्रद्धालु पंचकोशी परिक्रमा में भाग ले रहे हैं।
- सुरक्षा के लिए ड्रोन से निगरानी रखी जा रही है।
- यह पर्व हमारे सांस्कृतिक धरोहर को मजबूत बनाता है।
- परिक्रमा करने से पापों का नाश होता है।
अयोध्या, 1 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। देश के विभिन्न राज्यों में शनिवार को देवउठनी एकादशी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। प्रयागराज में श्रद्धालु तुलसी-शालिग्राम भगवान का विवाह बड़े श्रद्धा भाव से करा रहे हैं, जबकि अयोध्या में पवित्र पंचकोशी परिक्रमा में लाखों श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं।
भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन भी सुरक्षा के लिए अलर्ट मोड में है। यह पवित्र पंचकोशी परिक्रमा 1 नवंबर से लेकर 2 नवंबर तक जारी रहेगी।
कार्तिक मास में पड़ने वाली देवउठनी एकादशी के दिन स्नान और परिक्रमा का अत्यधिक महत्व होता है। दूर-दूर से श्रद्धालु भगवान राम और भगवान विष्णु के नामों का जाप करते हुए परिक्रमा कर रहे हैं। परिक्रमा करने आए भक्तों ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "किसी व्यक्ति की ईश्वर में आस्था और उसके पिछले कर्म यह निर्धारित करते हैं कि वह परिक्रमा कैसे करेगा। यह मेरा तीसरा वर्ष है, जबकि कुछ लोगों के लिए यह पांचवा या छठा साल है। प्रशासन की व्यवस्था अच्छी है, लेकिन इस बार भीड़ बहुत ज्यादा है।"
भक्तों को नंगे पांव अयोध्या की परिक्रमा करते हुए देखा जा रहा है।
भीड़ और व्यवस्था पर चर्चा करते हुए आईजी प्रवीण कुमार ने राष्ट्र प्रेस से कहा, "पावन कार्तिक एकादशी पर पंचकोशी परिक्रमा बड़े उत्साह के साथ प्रारम्भ हो गई है और घाटों एवं परिक्रमा के रास्तों पर व्यवस्थाएं की गई हैं। सुरक्षा की दृष्टि से परिक्रमा मार्गों को जोन के अनुसार विभाजित कर ड्रोन से निगरानी रखी जा रही है और विभिन्न स्थानों पर पुलिस प्रशासन तैनात है।"
जानकारी के लिए बता दें कि कार्तिक मास में पड़ने वाली देवउठनी एकादशी पर अयोध्या में परिक्रमा का महत्व अत्यधिक होता है। मान्यता है कि इस दिन परिक्रमा करने से सभी पापों का नाश होता है और भगवान राम की असीम कृपा प्राप्त होती है। एकादशी के दिन तीन प्रकार की परिक्रमा होती हैं, जिनमें 5 कोसी, 14 कोसी और 84 कोसी की परिक्रमा शामिल हैं। भक्त अपनी क्षमता के अनुसार परिक्रमा करते हैं। माना जाता है कि परिक्रमा मार्ग उन स्थानों से होकर गुजरता है, जहां भगवान राम ने अपनी बाल्यावस्था बिताई थी।