क्या धरती का स्वास्थ्य सही रहेगा, तभी सृष्टि बचेगी: सीएम योगी आदित्यनाथ?
सारांश
Key Takeaways
- धरती का स्वास्थ्य मानवता और सम्पूर्ण सृष्टि के लिए आवश्यक है।
- किसानों को समय पर सुविधाएं उपलब्ध कराना आवश्यक है।
- कृषि में तकनीकी नवाचार से उत्पादन बढ़ सकता है।
- एमएसपी का सीधा भुगतान किसानों को मिल रहा है।
- किसान पाठशाला खेती की समस्याओं को समझने में मदद करती है।
बाराबंकी, 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि धरती माता हमारे लिए अन्न का उत्पादन करती है, लेकिन इसका स्वास्थ्य भी ठीक रहना चाहिए। जब धरती का स्वास्थ्य ठीक रहेगा, तब न केवल मानवता बल्कि सम्पूर्ण सृष्टि भी सुरक्षित रहेगी।
उन्होंने बताया कि इस दिशा में कई कार्यक्रम वर्तमान में चल रहे हैं। प्रधानमंत्री द्वारा आरंभ किए गए नेशनल विजन ऑफ नेचुरल फार्मिंग के अभियान का यह हिस्सा है। किसान की आमदनी बढ़ाने का मंत्र यही है कि लागत कम हो और उत्पादन अधिक हो। यदि किसानों को समय पर बीज, खाद, सिंचाई की सुविधाएं और वैज्ञानिक पद्धतियों का सहयोग मिले, तो यह संभव है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाराबंकी के दौलतपुर ग्राम में शुक्रवार को आयोजित प्रगतिशील किसान सम्मेलन तथा खेती की बात खेत पर कार्यक्रम में रबी सत्र की किसान पाठशाला 8.0 का शुभारंभ किया। खेत पर पहुंचकर किसानों से संवाद करने वाले इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी ने उत्तर प्रदेश की कृषि प्रगति, बहु फसली खेती, तकनीकी नवाचार, एमएसपी व्यवस्था की पारदर्शिता और किसानों की आय बढ़ाने के प्रयासों पर विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम में प्रगतिशील किसानों का सम्मान भी किया गया और विभिन्न योजनाओं के लाभार्थी किसानों को चेक व स्वीकृति पत्र प्रदान किए गए।
इस अवसर पर प्रदर्शनी में उन्नत किस्मों की फसलों, सब्जियों, कृषि यंत्रों और एफपीओ आधारित नवाचारों का अवलोकन किया गया, जबकि दौलतपुर की उन्नत खेती के मॉडल को प्रदेश के अन्य जनपदों के लिए प्रेरणा बताया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है, जहां 25 करोड़ लोग निवास करते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में पिछले 11 वर्षों में प्रदेश ने समग्र विकास की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है। उर्वर भूमि, पर्याप्त जल संसाधन और बेहतर कनेक्टिविटी के कारण राज्य कृषि और अवसंरचना के क्षेत्र में अग्रणी बना है।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि देश की कुल कृषि योग्य भूमि में उत्तर प्रदेश का हिस्सा 11 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय खाद्यान्न आपूर्ति में प्रदेश का योगदान 21 प्रतिशत है। सरकार ने किसानों को बीज से लेकर बाजार तक आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराकर उत्पादन में वृद्धि और लागत में कमी सुनिश्चित की है। स्वॉइल हेल्थ कार्ड, फसल बीमा, गन्ना भुगतान, कृषि मंडियों के विस्तार और स्टोरेज और प्रोसेसिंग सुविधाओं ने किसानों को लाभ पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि पिछले आठ वर्षों में एमएसपी का भुगतान सीधे किसानों को मिल रहा है, जिससे बिचौलियों की भूमिका समाप्त हुई है। सिंचाई के क्षेत्र में हर खेत को पानी उपलब्ध कराने, माइक्रो इरीगेशन, नहरों के नेटवर्क, सौर पंप और जल संरक्षण के अभियानों को गति दी गई है। ड्रोन डोजिंग, खरपतवार नियंत्रण, स्वॉइल टेस्टिंग और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर किसानों को वैज्ञानिक पद्धतियों से जोड़ा गया है।
उन्होंने कहा कि किसानों को उद्यमिता से जोड़ने के लिए फूड प्रोसेसिंग, कोल्ड स्टोरेज, लॉजिस्टिक्स, डिजिटल मंडी और ई-नाम जैसे प्रयासों ने बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए हैं। एक्सप्रेसवे और लॉजिस्टिक्स पार्कों के माध्यम से किसानों की उपज अब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक आसानी से पहुंच रही है। विश्व बैंक के सहयोग से 4 हजार करोड़ रुपए की लागत से छह वर्षों में यूपी-एग्रीज परियोजना के अंतर्गत कम उत्पादन वाले 28 जनपदों, विशेषकर पूर्वांचल और बुंदेलखंड में कृषि सुधारों को गति दी गई है।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में नौ भौगोलिक जलवायु क्षेत्र हैं और इनके अनुरूप उन्नत बीज तथा तकनीक उपलब्ध कराने पर कार्य जारी है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 से पहले की तुलना में आज रिकॉर्ड उत्पादन और पारदर्शी व्यवस्था ने प्रदेश की प्रगति को नई दिशा दी है। कृषि विकास दर को 8.6 प्रतिशत से बढ़ाकर 17.7 प्रतिशत तक पहुंचाया गया है।
मुख्यमंत्री योगी के अनुसार, एक एकड़ में ढाई सौ क्विंटल आलू और दो लाख रुपए मूल्य का केला उत्पादन लागत कम और उत्पादन अधिक का सफल उदाहरण है। एफपीओ के माध्यम से सहकारी खेती को बढ़ावा मिल रहा है। पद्मश्री रामशरण वर्मा और सम्मानित प्रगतिशील किसान इस परिवर्तन के उत्कृष्ट उदाहरण हैं, जिनकी सफलता से प्रदेश के अन्य किसानों को प्रेरणा मिल रही है।
उन्होंने कहा कि खेती की वास्तविक चुनौतियों को समझने के लिए किसान पाठशाला का आयोजन प्रगतिशील किसान रामशरण वर्मा के फार्म में किया गया है। खेत में जाकर खेती को समझना, उसकी समस्याओं को नजदीक से देखना और कम लागत में अधिक उत्पादन के माध्यम से किसानों की खुशहाली सुनिश्चित करना इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है।
मुख्यमंत्री ने प्रगतिशील किसानों का धन्यवाद करते हुए कहा कि उनकी मेहनत और नवाचार ने उत्तर प्रदेश को कृषि क्षेत्र में नई पहचान दी है। उन्होंने सभी अन्नदाता किसानों से भी आग्रह किया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में अभिनव प्रयास करते रहें ताकि खेती का स्तर और बेहतर हो सके। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में लगातार नए प्रयोग हो रहे हैं और किसानों द्वारा समय पर खेती, गुणवत्तापूर्ण बीज का उपयोग और समुचित देखभाल से कम लागत में अधिक उत्पादन हासिल किया जा सकता है।
कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने कहा कि यह पहला अवसर है जब प्रदेश के मुख्यमंत्री किसान के खेत पर किसानों की खेती के विषय में बात करने आए हैं और प्रधानमंत्री मोदी की प्रेरणा से यह प्रयास नए आयाम की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि दौलतपुर गांव में किसानों की भूमि सचमुच दौलत बरसा रही है, क्योंकि यहां के किसान केवल एक फसल पर निर्भर नहीं हैं, बल्कि केला, आलू, टमाटर, सरसों, गन्ना और गेहूं सहित विभिन्न फसलों की खेती कर रहे हैं। बहु फसली खेती और नई तकनीक का उपयोग किसानों की उन्नति सुनिश्चित कर रहा है तथा उत्तर प्रदेश का कृषि परिदृश्य तेजी से बदल रहा है।